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मालदा से तृणमूल का सफाया

नतीजा. दोनों मंत्री कृष्णेंदु चौधरी और सावित्री मित्र भी हारे जिला अध्यक्ष भी नहीं बचा पाये अपनी सीट 12 में से 11 सीटें गयीं गंठबंधन की झोली में भाजपा को मिली वैष्णवनगर सीट मालदा : विधानसभा चुनाव में मालदा जिले से तृणमूल कांग्रेस का सफाया हो गया है. कुल 12 सीटों में से 11 पर […]

नतीजा. दोनों मंत्री कृष्णेंदु चौधरी और सावित्री मित्र भी हारे
जिला अध्यक्ष भी नहीं बचा पाये अपनी सीट
12 में से 11 सीटें गयीं गंठबंधन की झोली में
भाजपा को मिली वैष्णवनगर सीट
मालदा : विधानसभा चुनाव में मालदा जिले से तृणमूल कांग्रेस का सफाया हो गया है. कुल 12 सीटों में से 11 पर वाम-कांग्रेस गंठबंधन की जीत हुई है, जबकि एक सीट पर भाजपा उम्मीदवार सफल रहा. वैष्णवनगर सीट से भाजपा की जीत हुई है. जिले से तृणमूल कांग्रेस के दोनों मंत्री चुनाव हार गये हैं. इंगलिशबाजार से तृणमूल उम्मीदवार कृष्णेंदु चौधरी तथा मानिकचक से सावित्री मित्र को हार का मुंह देखना पड़ा है.
कृष्णेंदु चौधरी गंठबंधन समर्थित निहार रंजन घोष से 39727 वोटों से पराजित हुए हैं. वहीं सावित्री मित्र कांग्रेस उम्मीदवार मुस्तकीम आलम से 12603 वोटों से चुनाव हार गयी है.
इंगलिशबाजार सीट से 2005 में हुए उपचुनाव के साथ लगातार तीन बार चुनाव जीतकर कृष्णेंदु चौधरी ने हैटट्रिक बनायी थी. लेकिन इस बार वह रिकॉर्ड वोट से हारे हैं. दूसरी तरफ सावित्री मित्र भी 1991 से लगातार 25 साल तक विधायक रहीं. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.
इन दोनों मंत्रियों के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मोअज्जम हुसेन भी हार गये हैं. वह मालतीपुर सीट से चुनाव लड़ रहे थे. वह सिर्फ हारे नहीं हैं, बल्कि तीसरे स्थान पर रहे हैं. इन तीनों दिग्गजों के अलावा चांचल से तृणमूल उम्मीदवार तथा भूमि बैंड के गायक सौमित्र राय तथा शुजापुर से तृणमूल उम्मीदवार और गनीखान चौधरी के भाई अबु नासेर खान चौधरी भी विधानसभा नहीं पहुंच पाये हैं. दो मंत्रियों की हार के साथ ही मालदा में एक तरह से तृणमूल नेस्तनाबूत हो गयी है. इस करारी हार से तृणमूल का नेतृत्व स्तब्ध है.
कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है.जिला तृणमूल नेताओं ने सिर्फ इतना कहा है कि पूरे राज्य में पार्टी की जयजयकार हुई है, मालदा के चुनाव परिणाम को लेकर बाद में चर्चा करेंगे. दूसरी तरफ, कई तृणमूल नेताओं का मानना है कि दोनों मंत्रियों के बीच आपसी खींचतान तथा अपने निकटतम लोगों को सरकारी सुविधाएं एवं ठेका देने की वजह से पार्टी की हार हुई है. वहीं सावित्री मित्र की हार के लिए उनके दामाद समद्वीप सरकार को कई नेता दोषी ठहरा रहे हैं. इन नेताओं का कहना है कि सावित्री मित्र के नाम पर समद्वीप सरकार तानाशाही करते थे. इसी की कीमत मंत्री को चुकानी पड़ी है. अपनी हार को लेकर दोनों मंत्री कुछ भी नहीं कह रहे हैं. हार तय मानकर सावित्री मित्र सुबह 11 बजे ही मतगणना केंद्र से बाहर निकल गयीं. कृष्णेंदु चौधरी भी अंत तक नहीं रुके.
वह भी बीच में ही अपने घर रवाना हो गये. काफी पूछने के बाद सावित्री मित्र ने सिर्फ इतना कहा कि हार के कारणों पर विचार करेंगी. कुछ लोग अंतर्घात को भी हार का कारण बता रहे हैं. हार से कृष्णेंदु चौधरी भी अवाक हैं. उन्होंने कहा कि विधायक के रूप में इंगलिशबाजार के लिए उन्होंने छह सौ करोड़ रुपये खर्च किये और हमेशा ही आम लोगों के साथ रहे, उसके बाद भी इतनी बड़ी हार समझ से बाहर है.
मालदा जिले की 12 सीटों में से हरिश्चंद्रपुर से कांग्रेस के मुश्ताक आलम, चांचल से आशिक महबूब, रतुआ से समर मुखर्जी, मालतीपुर से अलबरूनी, मालदा से भूपेंद्रनाथ हलदार, शुजापुर से ईशा खानचौधरी, मोथाबाड़ी से सबीना यास्मीन तथा मानिकचक मुस्तकीम आलम की जीत हुई है. हबीबपुर से माकपा के खगेंद्र मुरमू, गाजोल से दीपाली विश्वास तथा इंगलिशबाजार से निर्दलीय निहार रंजन घोष जीते हैं. दूसरी तरफ वैष्णवनगर से भाजपा उम्मीदवार स्वाधीन सरकार की जीत हुई है.

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