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पश्‍चिम बंगाल चुनाव : नाम-असगर अली, उम्र-103, जिला-कूचबिहार, वोट- पहली बार

मशालडांगा छीटमहल (कूचबिहार) : पश्‍चिम बंगाल चुनाव में एक ऐसा नाम उभरकर आया है जिसने सबका ध्‍यान अपनी ओर खींच लिया है. ‘जी हां’ इनका नाम असगर अली है जो 103 वर्ष के हो गए हैं और आज उन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार मताधिकार का प्रयोग किया है. देश को अंगरेजों के हाथों आजादी […]

मशालडांगा छीटमहल (कूचबिहार) : पश्‍चिम बंगाल चुनाव में एक ऐसा नाम उभरकर आया है जिसने सबका ध्‍यान अपनी ओर खींच लिया है. ‘जी हां’ इनका नाम असगर अली है जो 103 वर्ष के हो गए हैं और आज उन्होंने अपनी जिंदगी में पहली बार मताधिकार का प्रयोग किया है. देश को अंगरेजों के हाथों आजादी मिलने के बाद भी कूचबिहार जिले के मशालडांगा छीटमहल के लोगों को आजादी नहीं मिली थी. यह लोग कुछ महीने पहले तक गुलामी की जिंदगी जी रहे थे. सही मायने में तो इन्हें यह भी पता नहीं था कि आखिरकार वह लोग किस देश के हैं.


पेंच के बीच झूली जिंदगी
भारत और बांग्लादेश के बीच फंसे छीटमहल के पेंच के बीच इनलोगों की जिंदगी झूल रही थी. यही वजह है कि देश की आजादी के इतने वर्षों बाद भी यहां के लोगों को कभी वोट देने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था. असगर अली 103 साल के हो गये हैं और अब तक कभी भी वह लोकतंत्र के महापर्व का मजा नहीं ले सके. अब जब उनकी उम्र 104 साल हो चुकी है तो उन्होंने जिंदगी में पहली बार वोट दिया. राज्य विधानसभा चुनाव के क्रम में आज कूचबिहार जिले में विधानसभा की नौ सीटों पर मतदान हो रहा है जिसके तहत उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. आज असगर अली ने अकेले मतदान नहीं किया उनके परिवार की तीन पीढ़ी के लोगों ने भी वोट दिया. इन सभी को भारत की नागरिकता मिली है और इसको लेकर इनके अंदर भारी उत्साह है. इनका कहना है कि असली आजादी तो अब जाकर मिली है. भारत की नागरिकता पाकर इनके अंदर का जोश देखते ही बनता है.

क्या कहते हैं अजगर अली

अजगर अली का कहना है कि उनका परिवार आजादी के पहले से ही मशालडांगा आकर बस गया था. तब से लेकर यहीं हैं. देश आजाद हुआ,पाकिस्तान बना और बाद में बांग्लादेश भी बन गया. वह तीनों देश में रहे,लेकिन नागरिकता कहीं की नहीं मिली. सारी जिंदगी खानाबदोश बने रहे़ उनके घर के आसपास से बजली के तार गए हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी बिजली नहीं देखी. 103 साल की जिंदगी उन्होंने लालटेन के उजाले में ही गुजारी है. उनका सात बच्चों का भरा पूरा परिवार है. अब उनकी एक ही इच्छा है कि जीते जी वह मशालडांगा छीटमहल का विकास देख लें.

अजगर अली का परिवार

अजगर अली के दो पुत्र बिलाल हुसैन और अबुबकर सिद्दिकी का कहना है कि काफी तकलीफें झेल ली है. अब भारत का नागरिक बनने के बाद उम्मीद है कि सभी तकलीफें दूर हो जायेगी. अजगर अली का पोता जमाल हुसैन का कहना है कि विकास के लिए वह लोग वोट देंगे. यह पल उनके जीवन का सबसे अविस्मरणीय है. मशालडांगा छीटमहल में कुल नौ हजार 716 मतदाता हैं और सभी पहली वार वोट देंगे. इनमें 561 मतदाता ऐसे हैं जो शुरू से भारत के नागरिक रहे हैं,लेकिन छीटमहल के बांग्लादेश सीमा में होने की वजह से भारतीय सीमा क्षेत्र में मतदान के लिए नहीं पाते थे. अब सारी दूरी खत्म हो गयी है. एक नयी जिंदगी और नया सवेरा इनसभी के सामने है. चुनाव आयोग ने छीटमहल के नए नागरिकों के लिए कुल 41 मतदान केंद्र बनाया है. सभी को मतदाता पहचान पत्र प्रदान कर दिया गया है.

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