कोलकाता/हल्दिया. पश्चिम बंगाल की राजनीति में नंदीग्राम फिर सुर्खियों में है. लगभग 10 वर्षों पहले जमीन अधिग्रहण के विरोध का चेहरा बन कर उभरा पूर्व मेदिनीपुर का यह ग्रामीण इलाका इस बार चुनावी लड़ाई के लिए सुर्खियों में है. पश्चिम बंगाल की कुल 294 विधानसभा सीटों में से बाकी 25 सीटों पर पांच मई को मतदान होना है.
16 सीटें पूर्व मेदिनीपुर जिले तथा नौ सीटें कूचबिहार जिले में हैं. नंदीग्राम पूर्व मेदिनीपुर के 16 विधानसभा क्षेत्रों में से एक विधानसभा क्षेत्र है. 2016 के विधानसभा चुनाव के तीन माह पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम आंदोलन के नायक रहे सांसद शुभेंदू अधिकारी को नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से
उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी थी. उसी के अनुरूप श्री अधिकारी नंदीग्राम से तृणमूल कांग्रेस की सीट पर प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं. उनके खिलाफ माकपा ने अब्दुल कबीर शेख को, एसयूसीअाइ ने बप्पादित्य नायक तथा भाजपा ने बिजन कुमार दास को उम्मीदवार बनाया है.
भ्रष्टाचार, नहीं न्याय है मुद्दा : बंगाल की राजनीति में सारदा और नारदा कांड की भले ही गूंज हो, तृणमूल कांग्रेस के अत्याचार के मुद्दे पर कांग्रेस व वाम मोरचा का गंठबंधन सत्तारूढ़ दल को चुनौती देे रहा हो, लेकिन नंदीग्राम की जनता के लिए भ्रष्टाचार, पानी, बिजली और विकास मुद्दा नहीं है, वरन नंदीग्राम के लोग न्याय चाहते हैं. प्रत्येक वर्ष नंदीग्राम की शहीद वेदी पर ग्रामीण पहुंचते हैं और गोली कांड में मारे गये परिजनों की याद में श्रद्धांजलि देते हैं. नंदीग्राम के स्थानीय निवासी भानू दास का पुत्र गोविंद उन 14 लोगों में से एक था, जिसे जमीन अधिग्रहण का विरोध करने पर गोलियों से भून डाला गया था. भानू दास का कहना है : हम लोग प्राय: समाधि स्थल के पास जाते हैं, जो मेरे पुत्र गोविंद जैसे शहीदों की याद में बनायी गयी है. हम शहीदों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और न्याय की फरियाद करते हैं.
हम लोग खुश हैं कि सड़कें बनायी गयी हैं. पेयजल की व्यवस्था की गयी है. बिजली की लाइन भी जोड़ दी गयी है, लेकिन वास्तव में हम चाहते हैं कि जिन लोगों ने मेरे बेटे को मारा है. उन्हें सजा मिले. शेख अब्दुल दायेन के पुत्र इमादुल की भी पुलिस फायरिंग में मौत हुई थी. वह भी अपने बेटे की मौत के लिए दोषियों को सजा देने की मांग कर रहे हैं.
नहीं भूले 14 मार्च 2007 की काली रात : लगभग 10 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन नंदीग्राम के लोगों ने अभी भी 14 मार्च 2007 की काली रात को नहीं भूला है, जब केमिकल्स हब के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध करने पर 14 लोगों को गोलियों से भून डाला गया था. 70 लोग घायल हुए थे. दर्जनों बच्चे बेसहारा हो गये थे. दर्जनों महिलाएं विधवा हो गयी थीं तथा सैकड़ों अपंग हो गये थे. हालांकि स्थानीय लोग मृतकों की संख्या 50 से अधिक बताते हैं.
बुद्धदेव सरकार के पतन का बना कारण : नंदीग्राम गोलीकांड के बाद तत्कालीन वाम मोरचा सरकार के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के खिलाफ तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के नेतृत्व में जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन ने उग्र रूप धारण किया और राज्य से 34 वर्षों का वाम मोरचा का लाल दुर्ग ध्वस्त हो गया. कभी माकपा का लाल दुर्ग माने जानेवाले पूर्व मेदिनीपुर के 16 विधानसभा क्षेत्रों में 2006 के विधानसभा चुनाव में माकपा ने 13 सीटों पर कब्जा किया था, लेकिन नंदीग्राम कांड के बाद पूर्व मेदिनीपुर से माकपा का नामो-निशान मिट गया.
2011 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मेदिनीपुर की सभी 16 विधानसभा सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया. पूर्व मेदिनीपुर के नेता सांसद शिशिर अधिकारी व सांसद शुभेंदु अधिकारी जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के नेता के रूप में उभरे. 2011 के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से गोलीकांड के शहीद इमादुल की मां फिरोज बीबी को ममता बनर्जी ने उम्मीदवार बनाया और उन्होंने भाकपा के परमानंद भारती को 43,640 मतों से पराजित कर दिया. उसके बाद पंचायत से लेकर नगरपालिका तक, सभी चुनावोंं में तृणमूल कांग्रेस का ही परचम लहराया.
दोषियों को अभी तक नहीं मिली है सजा : 2011 में ममता बनर्जी की सरकार के गठन के बाद कई जांच आयोग के गठन किये गये. मामले की सीबीआइ भी जांच कर रही है. सीबीआइ द्वारा अदालत में चार्जशीट भी दायर की गयी है. तत्कालीन प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को आरोप के घेरे में लाया गया, लेकिन अभी तक किसी को भी सजा नहीं मिली है. ममता बनर्जी की सरकार ने अधिकतर शहीदों के आश्रितों को मासिक भत्ता और नौकरी दी है, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला है.
पूर्व मेदिनीपुर की सभी 16 सीटों पर तृणमूल का जीत का दावा : नंदीग्राम से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शुभेंदू अधिकारी का कहना है : हम लोग निश्चिंत हैं कि पूर्व मेदिनीपुर की 16 में से 16 सीटों को जीत कर दीदी (ममता) को उपहार देंगे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को नंदीग्राम के समीपवर्ती इलाकों में सभा की और नंदीग्राम गोलीकांड का मुद्दा उठाया और न्याय का वादा किया. सुश्री बनर्जी ने मतदान केंद्रों पर धारा 144 लगाने व क्लबों की निगरानी पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा : चुनाव में लोकतंत्र का उत्सव होना चाहिए, लेकिन आयोग ने इसे कर्फ्यू में बदल दिया है, ताकि लोग मतदान नहीं कर सकें.