साथ ही तत्कालीन केंद्र सरकार को पत्र के माध्यम से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को देशप्रेम दिवस घोषित किये जाने का आवेदन भी किया गया था. पूर्ववर्ती वाममोरचा सरकार के सत्ता में रहने के दौरान लाये गये अध्यादेश के बाद राज्य में नेताजी जयंती को देशप्रेम दिवस के रूप में पालन किया गया लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद स्थिति दूसरी है. आरोप के अनुसार देशप्रेम दिवस को लेकर राज्य और केंद्र सरकार का रवैया काफी उदासीन है. सुभाष चन्द्र बोस ने अलग ही अंदाज में भारत को आजादी दिलाने के लिए लडाई लड़ी. इसके लिए पूरा देश उनके प्रति नतमस्तक है.
अत: देश में इस महान देशभक्त की जयंती को देशप्रेम दिवस के रूप घोषित कर देना चाहिए. नेताजी की जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर देशप्रेम दिवस के रूप में मनाए जाने से लोगों में देशभक्ति की भावना प्रबल होगी. आगामी 23 जनवरी यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में इस बार भी वाममोरचा की ओर से देशप्रेम दिवस का पालन किया जायेगा. इसके तहत आगामी शनिवार को महानगर के राजा सुबोध मल्लिक स्क्वायर से एक रैली निकाली जायेगी जो विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए धर्मतल्ला के निकट स्थित नेताजी मूर्ति के समक्ष समाप्त होगी. वहां नेताजी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी.