गंठबंधन उसका राजनीतिक चरित्र नहीं है. वाममोरचा में कुछ वामपंथी दल शामिल हैं, लेकिन इसमें भी माकपा अपनी दादागिरी चलाती है. बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां एकजुट हुई थी, लेकिन इसमें भी माकपा शामिल नहीं थी. इसकी शिक्षा वहां की जनता ने माकपा को दिया था. गंठबंधन को लेकर माकपा की विश्वासनीय है.
कांग्रेस की नेतृत्ववाली यूपीए सरकार को माकपा ने बीच में ही धोखा दिया था. अब जब माकपा की स्थिति राज्य में खराब है तथा विधानसभा चुनाव के बाद उसका म्यूजियम में स्थान होगा, तो अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अब कांग्रेस का दामन थामने को बरकरार है. उन्होंने कहा कि यदि माकपा व कांग्रेस के बीच गंठबंधन होता है, तो कांग्रेस का वोट तृणमूल को मिलेगा, क्योंकि ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस बृहत्तर गंठबंधन का प्रतिनिधित्व करती है. ममता बनर्जी के नेतृत्व में सभी वर्गों को एकजुट कर कार्य किया जा रहा है तथा राज्य का विकास हो रहा है.