इन कंपनियों को काला धन छिपाने के लिए बनाया जाता था. दशकों तक यह खेल चलता रहा. हाल के वर्षों में कानून में बदलाव और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और इनफोर्समेंट एजेंसियों की कड़ी निगरानी के चलते मनी लॉन्ड्रिंग आसान नहीं रह गयी है.
हालिया रिकॉर्ड्स बताते हैं कि कोलकाता में नयी कंपनियों की संख्या घट रही है. 2013-14 में यहां रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के पास 2,990 कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया, जिनकी संख्या 2012-13 में 16,000 थी. केंद्र की इनफोर्समेंट एजेंसियों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है. इस संबंध में काले धन पर बनी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) की कोलकाता में मीटिंग हुई. एक सूत्र ने बताया कि इसने वित्त मंत्रालय को इन एजेंसियों की सफलता पर एक रिपोर्ट सौंपी है.
उन्होंने कहा कि एसआइटी ने शहर के 15 बिजनेस हाउसों के ट्रांजेक्शन की जांच भी शुरू की है. कोलकाता से मनी लॉन्ड्रिंग करनेवालों ने कई शेल कंपनियों का जाल बनाया हुआ था, जिनका इस्तेमाल काले धन को सफेद बनाने के लिए किया जाता था. दो साल पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ऐसे 900 मामलों की जांच शुरू की थी. इस तरह की कंपनियों पर सरकारी एजेंसियों की सख्ती के चलते अब नयी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कम हो गया है. एसआइटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दो साल में कंपनियों के रजिस्ट्रेशन में कमी क्यों आयी. किसी राज्य में कंपनियों के रजिस्ट्रेशन में एक पैटर्न होता है और हम नयी कंपनियों की संख्या पर नजर रखते हैं. इनसे पता चलता है कि अपराध से कमाया गया पैसा छिपाने या टैक्स से बचने के लिए किस तरह से नयी कंपनियां बनायी जा रही हैं. एक इनकम टैक्स अधिकारी ने बताया कि कोलकाता की शेल कंपनियों का इस्तेमाल देश भर के लोग टैक्स से बचने के लिए करते थे.