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बाल श्रम पर अंकुश को बने टास्क फोर्स

कोलकाता: बाल श्रम केवल एक राज्य की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या बनी हुई है. बाल श्रम पर अंकुश लगाये जाने के लिए बुधवार को आल सेंट्रल ट्रेड यूनियंस ऑफ वेस्ट बंगाल और इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन (आइएलओ) के तत्वावधान में एक वर्कशॉप आयोजित की गयी. वर्कशॉप का उद्घाटन राज्य में आइएनटीयूसी के अध्यक्ष प्रदीप […]

कोलकाता: बाल श्रम केवल एक राज्य की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या बनी हुई है. बाल श्रम पर अंकुश लगाये जाने के लिए बुधवार को आल सेंट्रल ट्रेड यूनियंस ऑफ वेस्ट बंगाल और इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन (आइएलओ) के तत्वावधान में एक वर्कशॉप आयोजित की गयी.

वर्कशॉप का उद्घाटन राज्य में आइएनटीयूसी के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने किया. जबकि इस मौके पर चाइल्ड लेबर इरेडिक्शन कोर्डिनेशन कमेटी के कोर्डिनेटर व राज्य में आइएनटीयूसी के कार्यकारी अध्यक्ष रमेन पांडेय, प्रदेश इंटक के सचिव दिवाकर पांडेय, आइएलओ के प्रतिनिधि व बाल श्रम के विशेषज्ञ केएस रविचंद्रन, राजेंद्र गिरी समेत बीएमएस, एआइटीयूसी, सीटू, एचएमएस, एआइसीसीटीयू श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधिगण भी मौजूद रहे.

वर्कशॉप के दौरान बाल श्रम की समस्या खत्म करने के लिए टास्क फोर्स गठन का प्रस्ताव दिया गया. टास्क फोर्स में राज्य सरकार व तमाम केंद्रीय श्रमिक संगठन संयुक्त रूप से बाल श्रम उन्मूलन के लिए कार्य करेंगे. इस बाबत राज्य के श्रम मंत्री पूर्णेदू बसु को ज्ञापन भी सौंपा गया. साथ ही राज्य श्रम मंत्रलय के मार्फत केंद्रीय श्रम मंत्रलय को भी ज्ञापन भेजा गया.

वर्कशॉप के दौरान राज्य में इंटक के अध्यक्ष ने कहा कि बाल श्रम का मुद्दा काफी गंभीर है. इस समस्या का समाधान अकेले किया जाना काफी मुश्किल है. अत: सरकार व तमाम श्रमिक संगठनों को संयुक्त रूप से इसके खिलाफ कार्य करने होंगे.

इधर चाइल्ड लेबर इरेडिक्शन कोर्डिनेशन कमेटी के कोर्डिनेटर व राज्य में आइएनटीयूसी के कार्यकारी अध्यक्ष रमेन पांडेय ने कहा कि सेंसस की वर्ष 2001 की रिपोर्ट से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में करीब 1.26 करोड़ बाल श्रमिक हैं. बाल श्रम मामले में बंगाल का छठवां स्थान है. रिपोर्ट के मुताबिक पान, बीड़ी, सिगरेट, इमारत निर्माण, रेस्तरां व होटल में बाल श्रमिकों से काम लिया जा रहा है.

इंटरनेशनल लेबल आर्गेनाइजेशन (आइएलओ) के हस्तक्षेप के बाद कई दफा सरकार द्वारा कानवेंशन नंबर 138 व 182 लागू करने की बात कही गयी लेकिन लागू नहीं हो पा रहा है. बंगाल में बाल श्रम की समस्या काफी है. ज्यादातर उद्योग में बाल श्रमिकों से कार्य लिया जाता है. यही वजह है कि राज्य सरकार से टॉस्क फोर्स गठन की मांग की गयी है. उन्होंने कहा कि गरीबी, अशिक्षा व अन्य कई समस्याएं बाल श्रमिक को और बढ़ावा दे रही हैं.

बाल श्रमिकों की तस्करी व उन्हें देह व्यवसाय के अवैध धंधे में भी झोंकने की बात सामने आती है. ऐसे मामलों पर ही अंकुश लगाने के लिए राज्य में टास्क फोर्स गठन का प्रस्ताव दिया गया है. साथ ही आइएलओ के कानवेंशन 138 व 182 को सरकार द्वारा लागू करने पर भी जोर दिया गया.

इधर, इंटक के प्रदेश सचिव दिवाकर पांडेय ने कहा कि बाल श्रम की समस्या दूर करने के लिए तमाम केंद्रीय श्रमिक संगठनों का पूरा सहयोग सरकार को मिलेगा लेकिन इसके लिए पहल तो करनी जरूरी है. उन्होंने भी टास्क फोर्स के प्रस्ताव का समर्थन किया.

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