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शीतकालीन सत्र : विधानसभा में विपक्ष का हंगामा व वॉकआउट
शीतकालीन सत्र : चाय बागानों में श्रमिकों का मुद्दा गरमाया, सरकार पर लगा बेपरवाह होने का आरोप कांग्रेस, एसयूसीअाइ व भाजपा ने अलग-अलग किया वाॅकआउट कोलकाता : उत्तर बंगाल के चाय बागानों में भुखमरी और इलाज के अभाव में श्रमिकों की लगातार हो रही मौत का मामला सोमवार को विधानसभा में उठा. विपक्षी सदस्यों ने […]
शीतकालीन सत्र : चाय बागानों में श्रमिकों का मुद्दा गरमाया, सरकार पर लगा बेपरवाह होने का आरोप
कांग्रेस, एसयूसीअाइ व भाजपा ने अलग-अलग किया वाॅकआउट
कोलकाता : उत्तर बंगाल के चाय बागानों में भुखमरी और इलाज के अभाव में श्रमिकों की लगातार हो रही मौत का मामला सोमवार को विधानसभा में उठा. विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा किया.
चाय श्रमिकों की हो रही मौत पर राज्य सरकार के चुप रहने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस, भाजपा व एसयूसीअाइ विधायकों ने अलग-अलग स्थगन प्रस्ताव जमा दिया, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही स्थगित कर बहस कराने से इनकार कर दिया. इससे नाराज कांग्रेस व भाजपा ने सदन का बहिष्कार किया, जबकि एसयूसीअाइ के विधायक नरुण नस्कर ने सिर्फ पहले सत्र के लिए विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया.
बाद में कांग्रेस विधायक डॉ. मानस भुइयां ने कहा कि चाय बागानों की इस स्थिति के लिए केंद्र व राज्य सरकार दोनों ही जिम्मेदार हैं. यूपीए सरकार के शासन के दौरान केंद्र सरकार ने चाय बागानों के लिए अधिनियम बनाया था. चाय बागानों की स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाये थे, लेकिन वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार पूरी तरह से उदासीन हैं.
अभी तक 300 से अधिक चाय श्रमिकों की भुखमरी से मौत हुई है. कलकत्ता हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ने लोक अदालत के गठन कर सराहनीय काम किया है. एसयूसीअाइ के विधायक डॉ. तरुणकांति नस्कर ने कहा कि चाय बागानों में मौत का जुलूस चल रहा है.
उन्होंने कहा कि वह इस मसले पर विधानसभा में बहस की मांग कर रहे थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के रवैये से क्षुब्ध होकर उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया.उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाय बागानों के अधिग्रहण का अधिकार नहीं है, लेकिन वह केंद्र सरकार को सिफारिश करे और केंद्र सरकार चाय बागानों का अधिग्रहण करे.
भाजपा विधायक शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि बंद चाय बागानों व चाय बागान श्रमिकों की मौत पर राज्य सरकार का रवैया पूरी तरह से उदासीन है. केंद्र सरकार ने चाय श्रमिकों को दो रुपये किलो की दर पर चावल देने के प्रस्ताव को स्वीकार किया है. राज्य सरकार चाय श्रमिकों की मौत को लेकर पूरी तरह से असहिष्णु हो गयी है.
वाम विधायकों ने वेल में उतर कर की नारेबाजी
-हादसे में चाकुलिया के मृत छह बच्चों के परिजनों को मुआवजा देने की उठी मांग
-फॉरवर्ड ब्लॉक विधायक अली इमरान रम्ज ने राज्य सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप
-धान खरीद नहीं होने के मुद्दे पर विधानसभा से वाम मोरचा का वाकआउट
कोलकाता. उत्तर दिनाजपुर के चाकुलिया में तीन दिसंबर को दुर्घटना में मृत छह बच्चों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग और राज्य सरकार के पक्षपात रवैया के खिलाफ सोमवार को वाममोरचा के विधायकों ने विधानसभा में हंगामा किया.
विधायकों ने प्रश्नोत्तर काल में बाधा दी और वेल में उतर कर जम कर नारेबाजी की. उल्लेखनीय है कि तीन दिसंबर को बिहार के किशनगंज जिले से स्कूली बच्चों को उत्तर दिनाजपुर जिले के चाकुलिया थाना क्षेत्र ले जा रही एक बोलेरो जीप के रामपुर चेकपोस्ट के पास एक ट्रक से टकरा जाने से 6 बच्चों सहित 7 की मौत हो गयी और जीप चालक सहित 10 अन्य बच्चे घायल हो गये थे. बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही चाकुलिया से फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक अली इमरान रम्ज ने विधानसभा अध्यक्ष से प्वाइंट ऑफ ऑर्डर की मांग की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने प्रश्नोत्तर काल में प्वाइंट ऑफ ऑडर्र देने से इनकार कर दिया. इससे क्षुब्ध वाममोरचा के विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी.
वाममोरचा के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के आसन के सामने नारेबाजी करने लगे, हालांकि इस दौरान प्रश्नोत्तर काल भी जारी रहा, लेकिन शोरगुल के कारण न तो प्रश्न ही सुना जा सका और न ही किसी मंत्री का जवाब. हालांकि बाद में धान की कीमत किसानों को नहीं मिलने पर वाममोरचा के विधायकों ने विधानसभा से वाकआउट किया. बाद में संवाददाता सम्मेलन में फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक अली इमरान रम्ज ने कहा कि दुर्घटना में जिन छह बच्चों की मौत हुई है, सभी उनके घर से तीन किलोमीटर के अंदर के हैं.
यह बहुत ही दर्दनाक हादसा था. किसी-किसी परिवार की केवल एक ही संतान थी, जिसे इस दुर्घटना में काल ने लील लिया. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये देने की घोषणा की है, लेकिन इस राज्य के वाशिंदा होने के बावजूद उन परिवारों को राज्य सरकार ने कोई भी मुआवजा नहीं दिया है. यह पक्षपातपूर्ण भावना से किया जा रहा है, क्योंकि वह विरोधी दल के विधायक हैं और यह उनका क्षेत्र है.
उन्होंने कहा कि इसके विरोध में मंत्री और बीडीओ का घेराव किया गया था. उसके बाद बीडीओ ने मुआवजा की अनुशंसा भी की है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है, जबकि राज्य सरकार मोगराहाट में शराब पीने से मृतक के परिजनों को मुआवजा देती है, लेकिन निरीह बच्चों के परिजनों को कोई मुआवजा नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद भीक्षा मांग कर 1.10 लाख रुपये एकत्रित कर घायलों के इलाज के लिए मदद दी है.
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