कोलकाता: प्रसिद्ध पत्रकार एमजे अकबर ने कहा है कि भारत की धर्मनिरपेक्षता को महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद ने परिभाषित किया है. एक अच्छा हिंदू, एक अच्छा मुसलिम और एक अच्छा इसाई ही अच्छा भारत बनायेंगे.
एमजे अकबर मौलाना अबुल कलाम आजाद की 125वीं जयंती के अवसर पर आजाद भवन में देश के विभाजन से मुसलमानों को फायदा या नुकसान विषय पर आयोजित मेमोरियल लेक्चर में बोल रहे थे. इस अवसर पर एमएकेएआइएएस के चेयरमैन सीताराम शर्मा की उपस्थिति में न्यूज लेटर और प्रसिद्ध इतिहासकार मुसीरूल हसन की पुस्तक का भी विमोचन किया गया. एमजे अकबर ने मौलाना आजाद की पुस्तक इंडिया विंस फ्रीडम का हवाला देते हुए कहा कि मौलाना आजाद का मानना था कि सरकार वल्लभ भाई पटेल यदि देश के पहले प्रधानमंत्री होते, तो संभवत: देश का इतिहास दूसरा होता. उन्होंने कहा कि आजादी के पहले जिन्ना ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की बात कही थी, लेकिन 1921 के चुनाव में उनकी पार्टी मुसलिम लीग को समर्थन नहीं मिला, लेकिन जब उन्होंने इसलाम की सुरक्षा की बात कही, तो उनको समर्थन मिला. उन्होंने कहा कि यदि आज संयुक्त भारत होता, तो काफी ताकतवर होता. उन्होंने कहा कि मुसलिम राष्ट्रवाद की अवधारणा गलत है, क्योंकि यदि ऐसी बात होती, तो पाकिस्तान में इतना खूनखराबा नहीं होता. उन्होंने कहा कि विभाजन से दोनों देशों को नुकसान हुआ है.
इस अवसर पर एमएकेएआइएएस के चेयरमैन सीताराम शर्मा ने कहा कि मौलाना आजाद का बौद्धिक, राजनीतिक व धार्मिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है. युवा भारत को मौलाना आजाद ने नयी राह दिखायी है. उन्होंने बताया कि अगले दो दिन 12 व 13 नवंबर को मौलाना आजाद पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा. इस संगोष्ठी में दक्षिण अफ्रीका, इस्नइल, अमेरिका, सउदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, टर्की व ट्यूनेशिया के विशिष्ट विद्वान शामिल होंगे. वे अबुल कलाम पर अपने अध्ययन पेश करेंगे. इसके साथ ही 12 नवंबर की शाम बालीगंज स्थित म्यूजियम में उर्दू के दो कहानीकार अपनी कहानियां सुनायेंगे.