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हुकुमचंद जूट मिल : तांत यूनिट फिर बंद

कोलकाता: आधुनिकीकरण में बाधा आने की वजह बताते हुए उत्तर 24 परगना के हाजीनगर स्थित हुकुमचंद जूट मिल के प्रबंधन ने शुक्रवार सुबह 1 नंबर मिल की तांत यूनिट को फिर बंद कर दिया. इससे नाराज श्रमिकों ने शुक्रवार को चार घंटे तक पथावरोध किया. इस महीने में दूसरी बार प्रबंधन ने एक ही कारण […]

कोलकाता: आधुनिकीकरण में बाधा आने की वजह बताते हुए उत्तर 24 परगना के हाजीनगर स्थित हुकुमचंद जूट मिल के प्रबंधन ने शुक्रवार सुबह 1 नंबर मिल की तांत यूनिट को फिर बंद कर दिया. इससे नाराज श्रमिकों ने शुक्रवार को चार घंटे तक पथावरोध किया.

इस महीने में दूसरी बार प्रबंधन ने एक ही कारण दिखाकर इस यूनिट को बंद किया है. इससे मिल में कार्यरत डेढ़ हजार श्रमिक बेकार हो गये. दिवाली से पहले उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है.

श्रमिकों का आरोप है कि मिल प्रबंधन चीन से मशीन आयात कर तांत यूनिट की पुरानी मशीनों को हटाना चाहता है. इससे श्रमिकों की छंटनी की आशंका है. इससे उनमें रोष है. इससे पहले प्रबंधन ने 13 अक्तूबर को हुकुमचंद जूट मिल की इस तांत यूनिट को बंद कर दिया था. बातचीत के बाद इसे 17 अक्तूबर को फिर खुला गया था. इस बीच, गुरुवार शाम को यूनिट में नयी मशीन लगाने के विरोध में मिल गेट पर श्रमिकों ने सभा की थी. तांत यूनिट के सभी श्रमिक शाम चार बजे ही काम छोड़ कर सभा में चले गये थे. इससे यूनिट में उत्पादन ठप हो गया था. श्रमिकों का आरोप है कि बी शिफ्ट में शाम पांच बजे जब वे यूनिट में गये, तो वहां की बिजली कटी हुई थी, इसलिए वे भी लौट गये. उधर, शुक्रवार सुबह प्रबंधन ने यूनिट को बंद कर वहां मजदूरी काटने का नोटिस चस्पा कर दिया. इससे आग-बबूला हुए श्रमिकों ने गेट के सामने ही प्रदर्शन कर रास्ता जाम कर दिया.

िमल प्रबंधन को नयी मशीन लगाने के पहले यूनिट के श्रमिकों को विश्वास में लेना चाहिए था. प्रबंधन को चार नवबंर को श्रम मंत्री के साथ बैठक के पहले यूनिट नहीं बंद करना चाहिए था. यूनिट बंद करने का फैसला गलत है.
मास्टर निजाम, इंटक नेता

श्रमिक आधुनिकीकरण के काम में लगातार बाधा पहुंचा रहे हैं. इसकी वजह से प्रबंधन को घाटा हो रहा है.
एसके चंद्रा, िमल के सीइओ

नयी मशीन लगने से श्रमिकों में छंटनी की आशंका है. प्रबंधन ने बगैर पूर्व नोटिस के बिजली काट कर यूनिट का बंद किया है. इस फैसले से श्रमिकों में असंतोष है. प्रबंधन को कोई भी फैसला लेने से पहले श्रमिकों को विश्वास में लेना चाहिए था. प्रदीप पुरी, तृणमूल नेता

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