विश्व स्ट्रोक दिवस पर सतर्कता जागरूकता कार्यक्रमकोलकाता. विश्व स्ट्राेक दिवस के मौके पर सतर्कता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमे में डॉ अमिताभ घोष, डाॅ शंकर लोहारूका, डॉ अरिजीत बोस और डॉ एन सरकार ब्रेन स्ट्रोक से उबर चुके मरीजों को साथ लेकर अपने अनुभव अौर विशेषज्ञों की राय वक्त की. इस कार्यक्रम का आयोजन अपोलो ग्लेनिगल्स अस्पताल के आॅडिटोरियम में की गयी. इस जागरूकता कार्यक्रम में महिला रोगियों के इजाल पर जोर दिया गया. इस मौके पर डॉ अमिताभ घोष ने बताया कि व्यक्ति का जैसे जैसे उम्र बढता है, वैसे वैसे बीमारी होने की संभावना तेज हो जाती है, पर 65 के पार करने पर इस रोग के हाेने की संभावना 50 प्रतिशत बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि महिलाओं के डिप्रेशन में रहने और गर्भावस्था के दौरान स्ट्रोक ज्यादा होने की संभावना होती है. अगर किसी रोगी को स्ट्रोक हाेने के तीन घंटे के भीतर अगर न्यूरो डॉक्टर से दिखाया जाये तो इसमें मरीज के बचने की संभावना ज्यादा होती है. डाॅ लोहारिका ने इस बीमारी से बचने के उपायों के बारे में बताया. साथ ही अस्पताल में स्ट्रोक के इलाज आधुनिकतम और अत्यंत प्रौद्योगकी और प्रणाली के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इसमें ट्रांसक्रेनियल डोप्लर, टीआइए क्लिनिक के साथ ही टीसीडी मशीन शामिल होने और इससे स्ट्रोक के एक्यूट मामलों में प्रभावकारी और प्रतिरोधक इलाज संभव होने की बात कही. इस मौके पर न्यूरोलॉजिस्ट नवीन सरकार, डॉ सुधीर कुमार समेत अस्पताल के कई वरिष्ठ डॉक्टर उपस्थितथे.
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विश्व स्ट्रोक दिवस पर सतर्कता जागरूकता कार्यक्रमकोलकाता. विश्व स्ट्राेक दिवस के मौके पर सतर्कता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमे में डॉ अमिताभ घोष, डाॅ शंकर लोहारूका, डॉ अरिजीत बोस और डॉ एन सरकार ब्रेन स्ट्रोक से उबर चुके मरीजों को साथ लेकर अपने अनुभव अौर विशेषज्ञों की राय वक्त की. इस कार्यक्रम का […]
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