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शिक्षक पर लगा लाखों रुपये की ठगी का आरोप
कोलकाता. हमारे देश में शिक्षक का स्थान काफी ऊंचा होता है. यदि उसी की आड़ में धोखाधड़ी की बात सामने आये तो शिक्षक की गरिमा काफी धूमिल होती है. ऐसी ही घटना कांचरापाड़ा इलाके में घटी है, जहां एक हिंदीभाषी शिक्षक पर हिंदीभाषी लोगों को ही चूना लगाने का आरोप लगा है. आरोपी शिक्षक बलराम […]
कोलकाता. हमारे देश में शिक्षक का स्थान काफी ऊंचा होता है. यदि उसी की आड़ में धोखाधड़ी की बात सामने आये तो शिक्षक की गरिमा काफी धूमिल होती है. ऐसी ही घटना कांचरापाड़ा इलाके में घटी है, जहां एक हिंदीभाषी शिक्षक पर हिंदीभाषी लोगों को ही चूना लगाने का आरोप लगा है. आरोपी शिक्षक बलराम यादव के खिलाफ स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज करायी गयी है.
दर्ज करायी शिकायत में पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि शिक्षक बलराम यादव ने विभिन्न फंडों के नाम पर थोड़े-थोड़े किश्तों में रुपये जमा करा कर काफी ज्यादा रुपये प्राप्त करने का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये लिए. डेंगापाड़ा इलाका स्थित एक झोपड़ी में बलराम यादव वििगत 6 वर्षों से छात्रों को ट्यूशन पढ़ाता था. कई महीनों तक लोगों ने रुपये उसके पास जमा कराये लेकिन अचानक आरोपी शिक्षक के इलाके से गायब होने के बाद लोगों को संदेह हुआ. पहले तो पीड़ित लोगों ने आरोपी के खिलाफ बीजपुर थाना में लिखित शिकायत की. उसके बाद में प्राथमिकी दर्ज करायी है.
शिकायतकर्ता व शिक्षक कामेश्वर साव को पता चला कि बलराम आरपी हाई स्कूल में पार्ट टाइमर टीचर भी है. आरोप के मुताबिक विगत 10 अक्तूबर, 2010 को बलराम यादव ने कामेश्वर को जीवन समृद्धि मेडिकल मार्केटिंग लिमिटेड में प्रति महीने पांच हजार रुपये करीब 60 महीने जमा कराने पर लगभग 5.40 लाख रुपये भुगतान होने की बात कही. दर्ज शिकायत के आधार पर कामेश्वर ने पांच हजार रुपये के हिसाब से लगभग 55 महीने तक 2.75 लाख रुपये आरोपी को दिये.
कामेश्वर के अलावा कपिल देव चंद, ओम प्रकाश सिंह और अशोक जायसवाल द्वारा भी बीजपुर थाने में बलराम के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करायी गयी है. लोगों ने बलराम के शिक्षक होने पर विश्वास किया था और इसी आधार पर उसे नियमित रूपये भी दिये थे. एकाएक बलराम का रुपये लेने के लिए लोगों के पास आना बंद होने पर जब लोगों ने खोजबीन शुरू की तो पहले पता चला कि वह अपने गांव गया है.
बलराम ने 10 जून, 2015 को मोबाइल फोन पर यह सूचना दी थी. इसके बाद विगत 24 जून को लोगों की उसके मोबाइल फोन पर अंतिम बातचीत हुई. 27 जून से ही उसका मोबाइल बंद पाया जा रहा है. दर्ज शिकायत में उसका गांव महीगंज, टोला जोकहन, थाना रुद्रपुर, जिला देवरिया (उत्तर प्रदेश) उल्लेख किया गया है. इधर कामेश्वर और दूसरे लोगों को बलराम की झोपड़ी से मिले एक कागजात से पता चला कि उसका गांव देवरिया नहीं गोरखपुर जिले में है. पीड़ित लोग जब उस पते के आधार पर उसके गांव पहुंचे तो वहां आरोपी के पिता छेदी प्रसाद यादव से मुलाकात हुई. कथित तौर पर छेदी ने उन्हें बताया कि बलराम को मरे हुए 6-7 साल हो गये हैं.
यह बात सुनकर पीडि़तों ने रुद्रपुर थाने में भी बलराम द्वारा की गयी धोखाधड़ी की जानकारी दी. थाना अधिकारियों ने बीजपुर थाने की पुलिस को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है. शिकायत के आधार पर इलाके के कपिल चंद, ओमप्रकाश सिंह, कामेश्वर साव, श्याम बाबू साव, काली प्रसाद खटिक, रिंकी साव, अशोक जयसवाल, सिंकी साव, मनीषा भारती, गीता देवी भारती, बबन सिंह, दुर्गावती देवी, ज्योति साव, संजय साव, असीत कुमार नाग, कपिल देव गुप्ता, अजय प्रसाद केशरी, राजू प्रसाद केशरी, रीता केशरी तथा किशोरी मोहन केशरी ठगी ने आरोपी शिक्षक को रुपये दिये थे.
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