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न्यायाधीश ने बार एसोसिएशन के कानूनी अधिकार पर उठाया सवाल

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश गिरीश गुप्ता ने बार एसोसिएशन के कानूनी अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई वकील अपनी मरजी से मामले की पैरवी करना चाहता है, तो बार एसोसिएशन उसे कैसे रोक सकता है. इस संबंध में न्यायाधीश ने सोमवार को राज्य के महाधिवक्ता की उपस्थिति में बार एसोसिएशन […]

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश गिरीश गुप्ता ने बार एसोसिएशन के कानूनी अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई वकील अपनी मरजी से मामले की पैरवी करना चाहता है, तो बार एसोसिएशन उसे कैसे रोक सकता है. इस संबंध में न्यायाधीश ने सोमवार को राज्य के महाधिवक्ता की उपस्थिति में बार एसोसिएशन को जवाब देने को कहा है.
उन्होंने कहा कि बहिष्कार करना उनका मौलिक अधिकार है, लेकिन किसी दूसरे को जबरन इस प्रकार से रोकना क्या बार एसोसिएशन के अधिकार क्षेत्र में है. गौरतलब है कि हाइकोर्ट के न्यायाधीश गिरीश गुप्ता के निर्देश पर 11 जांच अधिकारी केस डायरी जमा करने के लिए उनके कोर्ट रूम में जा रहे थे, लेकिन बार एसोसिएशन ने उन्हें प्रवेश करने नहीं दिया.
इसके बाद उन्होंने हाइकोर्ट के रजिस्टर जनरल के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. गौरतलब है कि कोलकाता उच्च न्यायालय के वकीलों ने र्दुव्‍यवहार का आरोप लगाते हुए और बार एसोसिएशन से माफी मांगने की मांग करते हुए लगातार छठे दिन न्यायाधीश गिरिश गुप्ता की अदालत का बहिष्कार किया. कोलकाता उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन के सचिव राणा मुखर्जी ने बताया कि गतिरोध को सुलझाने का अब तक कोई संकेत नहीं मिला है.
गौरतलब है कि शुक्रवार को एक नये सचिव राणा मुखर्जी के स्थान पर कामकाज संभालेंगे. लंबे समय से वकीलों के साथ र्दुव्‍यवहार और अपमान के कारण हमने न्यायाधीश गिरीश गुप्ता की अदालत में उपस्थित नहीं होने और अलग रहने का संकल्प लिया है.
श्री मुखर्जी के मुताबिक, बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर को पत्र लिख कर कहा है कि जब तक गिरिश गुप्ता बार एसोसिएशन के वकीलों से माफी नहीं मांग लेते हैं, तब तक वकील उनकी अदालत में भाग नहीं लेंगे.
स्थायी चेयरमैन बनाने को लेकर याचिका
कोलकाता. राज्य मानवाधिकार आयोग में स्थायी चेयरमैन की नियुक्ति के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. समाजसेवी विप्लव चौधरी ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई अगले सप्ताह मुख्य न्यायाधीश के बेंच पर हो सकती है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य मानवाधिकार आयोग जैसे महत्वपूर्ण विभाग में स्थायी चेयरमैन नहीं है, राज्य सरकार ने यहां के पूर्व डीजी नपराजित मुखर्जी को अस्थायी चेयरमैन बनाया है. इस पद पर जल्द से जल्द स्थायी चेयरमैन की नियुक्ति करनी चाहिए.

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