कोलकाता. ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में अंगरेजी भाषा का ज्ञान व संवाद दक्षता का होना बहुत जरूरी है. हालांकि अपने शहर में अपनी भाषा में संवाद का लोगों पर अलग ही प्रभाव पड़ता है, इसके बावजूद अंगरेजी भाषा की दक्षता आज सबकी जरूरत है. जैसे-जैसे तकनीकी का विकास हो रहा है, अंगरेजी की मांग व जरूरत बढ़ती जा रही है.
आज अंगरेजी केवल स्टेटस सिम्बल नहीं है बल्कि यह हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गयी है. उक्त बातें बुधवार को ब्रिटिश काउंसिल द्वारा बंगाल क्लब में आयोजित एक परिचर्चा में अभिनेत्री व सासंद मुनमुन सेन ने कहीं. ‘क्या अंगरेजी केवल प्रतिष्ठा की सूचक है’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति पहले अपनी भाषा में बात करता है लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में अंग्रेजी के बिना काम नहीं चल सकता है.
अंगरेजी की दक्षता बहुत महत्वपूर्ण है. कंसल्टिंग, डिलोटी टच तोहमत्सु के प्रबंध निदेशक रूपेन राय ने कहा कि अंगरेजी व्यापार की भाषा है. ग्लोबल मार्केट या कस्टमर फेसिंग जॉब में अपनी जगह बनाने के लिए अंगरेजी की योग्यता होना बहुत जरूरी है. केवल प्रतिष्ठा नहीं बल्कि अंगरेजी भारतीय भाषाओं का हिस्सा बन गयी है. मौलाना अबुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज की निदेशक श्रीराधा दत्ता ने कहा कि अंगरेजी कोई विदेशी भाषा नहीं है बल्कि हर क्षेत्र में आज यह भाषा व्यवहारिक हो गयी है. आइटी के क्षेत्र में अंगरेजी के कारण ही रोजगार के अवसर बढ़े हैं. कॉल सेंटरों में युवाओं के लिए अवसर बढ़े हैं. कार्यक्रम में द गाजिर्यन के लेखक आइन जैक व ब्रिटिश काउंसिल (इंगलिश लैंग्वेज सेंटर) के एकेडमिक प्रबंधक राजीव बक्शी ने भी अंगरेजी के महत्व पर अपने विचार रखे. परिचर्चा में ब्रिटिश काउंसिल की निदेशक सुजाता सेन ने ब्रिटिश काउंसिल द्वारा छात्रों व टीनएजर्स के लिए लांच किये गये एपटिस की जानकारी दी.