सरकारी वकील नव कुमार घोष ने बताया कि सीआइडी ने जांच के दौरान पाया कि सिद्धार्थ की कोई स्थायी व अस्थायी संपत्ति नहीं है.
इस कारण संपत्ति कुकरु करने का सवाल ही नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि अदालत को यह जानकारी देने के बाद अदालत ने उक्त माओवादी को फरार घोषित कर न्याय प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है. अदालत से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने 2010 में दक्षिण 24 परगना के विष्णुपुर के आमतला से सिद्धार्थ मंडल सहित पांच माओवादियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार माओवादियों से माओवादी पत्र पत्रिका व लीफलेट पाया गया था. कुछ दिन पहले कलकत्ता हाइकोर्ट ने सिद्धार्थ को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी माओवादी नेता की जमानत खारिज कर दी. इसके साथ ही आरोपी को निम्न अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया, लेकिन उक्त माओवादी नेता द्वारा अलीपुर अदालत में उपस्थित नहीं होने पर उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.