कोलकाता. वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने वरिष्ठ होमियोपैथी चिकित्सक डॉ हृदयनारायण सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारे शहर में कुछ ऐसे सहृदय लोग रहे हैं, जिनके प्रेम की वजह से मेरे जैसे देहाती आदमी को महानगर अपने गांव से अधिक प्रिय लगता रहा है और इस शहर में आसक्ति बढ़ती गयी है. एक-एक कर प्रियजन साथ छोड़ रहे हैं और बुढ़ापे के साथ ही उदासी गहराती जा रही है. उन प्रियजनों में डॉ. हृदयनारायण सिंह अद्वितीय व्यक्ति थे. आज के जमाने में जब बाजार सभ्यता मनुष्य के नियत पर हावी हो गयी है. हमारे शहर में हृदयनारायण सिंह के रूप में एक आदमी था जो बहुत ही योग्य चिकित्सक होते हुए मन से फकीर था और लोगों के दर्द की दवा बांटता रहता था, लोगों को बताता था कि अभी भी मानवता मरी नहीं है और आरोग्य के प्रति आश्वासन जगाता था कि मनुष्यता अभी जीवित है. हंसमुख व्यवहार से आधी बीमारी जैसे खत्म कर देते थे. रोगी के मन में एक विश्वास पैदा हो जाता था, सही ठिकाने पर हम आ गये हैं और अब चिंता की कोई बात नहीं है. ऐसे सहृदय व्यक्ति का इतनी कम उम्र में एकाएक संसार छोड़ना हमारे समाज की बहुत बड़ी क्षति है. यह क्षति केवल उनके परिवार की नहीं है, बल्कि महानगर के उस बड़े समाज की क्षति है, जिससे वह गहरी आत्मीयता के साथ जुड़े हुए थे. हमारे प्रति उनका इतना गहरा प्रेम था, उनकी बीमारी का समाचार सुन कर मैं दंग गया था. वे मेरे पुत्र पीढ़ी के पुत्र सदृश्य ही प्रिय थे. उनका सत्य कर्म, उनकी सद्गति का आश्वासन देता है. संतोष का इतना ही आधार अब बचा है. वैसे एक बहुत बड़े जगत को उन्होंने अपनी नयी यात्रा से उदास बना दिया.
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लोगों के दर्द की दवा बांटते रहे डॉ. हृदयनारायण : डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र
कोलकाता. वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने वरिष्ठ होमियोपैथी चिकित्सक डॉ हृदयनारायण सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारे शहर में कुछ ऐसे सहृदय लोग रहे हैं, जिनके प्रेम की वजह से मेरे जैसे देहाती आदमी को महानगर अपने गांव से अधिक प्रिय लगता रहा है और इस शहर में […]
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