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मिलीभगत का लगाया आरोप

फिरहाद ने मिलीभगत के आरोप को किया खारिज कोलकाता : सात नगरपालिकाओं के चुनाव पर सर्वोच्च न्यायालय के स्थगनादेश और अदालत में राज्य चुनाव आयोग के वकील के अनुपस्थित रहने पर विरोधी दलों ने आयोग व राज्य सरकार के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया. इसके साथ ही राज्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे की मांग की. […]

फिरहाद ने मिलीभगत के आरोप को किया खारिज
कोलकाता : सात नगरपालिकाओं के चुनाव पर सर्वोच्च न्यायालय के स्थगनादेश और अदालत में राज्य चुनाव आयोग के वकील के अनुपस्थित रहने पर विरोधी दलों ने आयोग व राज्य सरकार के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया. इसके साथ ही राज्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे की मांग की.
दूसरी ओर, शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि 15 जून तक सात नगरपालिकाओं के डिलिमिटेशन की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. उसके बाद चुनाव कराने में कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि हाल में कोलकाता नगर निगम सहित 92 निकाय चुनाव हुए हैं. सरकार को चुनाव कराने में कोई भय नहीं है, लेकिन इन नगरपालिकाओं को निगम में परिवर्तित किया जा रहा है.
यदि चुनाव होते हैं और नये पार्षद आते हैं, तो निगम के गठन के बाद उनलोगों के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़ा हो जायेगा. इससे केवल खर्च ही होंगे.
दूसरी ओर, मिलीभगत के आरोप को खारिज करते हुए श्री हकीम ने कहा कि आयोग के साथ सरकार की कोई मिलीभगत नहीं है. सरकार ने कल सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की थी. इसकी जानकारी आयोग को दे दी गयी थी. उसके बाद भी आयोग ने संवाददाता सम्मेलन कर चुनाव की तारीख की घोषणा क्यों की, उन्हें नहीं मालूम.
सर्वोच्च न्यायालय में आयोग के पक्ष के वकील की अनुपस्थिति पर श्री हकीम ने कहा कि प्राय: अदालत द्वारा सुनवाई के दौरान वकील रखे जाते हैं. सभी समय दिल्ली में वकील रखना संभव नहीं है.
दूसरी ओर, माकपा के विधायक अनीसुर रहमान ने कहा कि इससे साफ हो गया है कि राज्य सरकार इन नगरपालिकाओं में चुनाव कराना नहीं चाहती है. यह पूरी तरह से राज्य सरकार और आयोग की मिलीभगत है. राज्य चुनाव आयुक्त को अब पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.
उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए. कांग्रेस विधायक डॉ. मानस भुईंया व भाजपा विधायक शमिक भट्टाचार्य ने भी आयुक्त के निर्णय पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि आयुक्त को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. इस तरह के संवैधानिक पद पर रहने का आयुक्त को कोई अधिकार नहीं है.
कोलकाता : आलू किसानों की आत्महत्या के मुद्दे को विधानसभा में नहीं उठाने के विरोध में विपक्षी दल वाम मोरचा व कांग्रेस ने अलग-अलग विधानसभा से वॉकआउट किया.
आलू किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर दोनों दलों के विधायकों द्वारा अलग-अलग स्थगन प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने स्थगन प्रस्ताव की प्रति पढ़ने की अनुमति दी, लेकिन सभा की कार्यवाही रोक कर बहस कराने से इनकार कर दिया. इसके विरोध में दोनों दलों के सदस्यों ने विधानसभा की कार्यवाही से वॉकआउट कर गये. माकपा विधायक अनीसुर रहमान ने बताया कि 19 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, लेकिन विधानसभा में उन लोगों को इस मुद्दे को उठाने की अनुमति नहीं दी जा रही है.
कांग्रेस विधायक दल के नेता मोहम्मद सोहराब ने कहा कि दिल्ली में एक किसान ने आत्महत्या की तो पूरा देश हिल गया है,लेकिन बंगाल में इतने किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन राज्य सरकार इसे स्वीकार नहीं कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री जिले दौरे की प्रशासनिक बैठक के दौरान कांग्रेस विधायकों को नहीं बुलाती है.

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