Advertisement
धान खरीद प्रक्रिया की क्यों नहीं हुई मॉनीटरिंग
पटना : मनेर के किसान गजेंद्र सिंह के आत्महत्या प्रकरण में प्रखंड से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है. अभी भले पैक्स अध्यक्ष को धान नहीं खरीदने के लिए जिम्मेदार समझा जा रहा हो,लेकिन धान खरीद की पूरी प्रक्रिया ना केवल पैक्स अध्यक्ष,अधिकारियों और बिचौलियों के चंगुल में थी. इनके […]
पटना : मनेर के किसान गजेंद्र सिंह के आत्महत्या प्रकरण में प्रखंड से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है. अभी भले पैक्स अध्यक्ष को धान नहीं खरीदने के लिए जिम्मेदार समझा जा रहा हो,लेकिन धान खरीद की पूरी प्रक्रिया ना केवल पैक्स अध्यक्ष,अधिकारियों और बिचौलियों के चंगुल में थी. इनके साथ मिलर की चौकड़ी द्वारा खरीद में बड़े पैमाने पर धांधली की गयी और सही लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका.
जिले में किसानों ने खरीद प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का विरोध भी किया और कई प्रखंडों में सड़क जाम भी किया, लेकिन व्यवस्था नहीं सुधरी और गजेंद्र पूरी अव्यवस्था की भेंट चढ़ गये. इस प्रकरण में कई सवाल उठ रहे हैं. खास कर यह सवाल है कि जब गजेंद्र के पिता जी का नाम पैक्स में दर्ज था, तो फिर खरीद को लेकर अधिकारियों ने क्रॉस चेक नहीं किया. क्या अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं है. यदि पैक्स अध्यक्ष मनमानी पर उतर आये, तो फिर उस पर कोई क्यों नहीं निगाह रख सका.
यह स्थिति उन परिस्थितियों में देखने को मिली जब हर प्रखंड में सहकारिता पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, बीडीओ को धान खरीद की जिम्मेदारी दी गयी थी. यही नहीं एक विशेष नोडल अधिकारी को भी नजर रखने के लिए लगाया गया था, लेकिन किसी की नजर इस पर नहीं गयी और तो और जिला स्तरीय अधिकारियों ने भी इस धांधली पर ध्यान नहीं दिया.
मनेर में माकपा करेगी प्रदर्शन राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ माकपा 12 मई को मनेर में आमसभा कर विरोध मार्च निकालेगी. यह जानकारी जिला सचिव मनोज कुमार चंद्रवंशी ने दी.
बताया कि गजेंद्र सिंह के शेर भूखवा गांव में सभा होगी. वहां के किसान गजेंद्र सिंह ने गरीबी और महाजनी कर्ज से परेशान हो कर आत्महत्या कर ली थी. इस मुद्दे को ले कर माकपा अन्य जिलों में भी प्रदर्शन करेगी.
धांधली की शिकायत पर बनी जांच कमेटी
वरीय प्रशासनिक अधिकारियों की नींद उस वक्त खुली जब कुछ किसानों ने रसीद में धांधली की शिकायत की. इसके बाद जब एडीएम स्तर के अधिकारी को जांच के लिए लगाया गया तब गड़बड़ी सामने आने लगी.
एडीएम आपूर्ति और एसडीओ की अगुआई में जांच कमेटी बनायी गयी, जिसने धनरूआऔर मसौढ़ी में गड़बड़ी पकड़ी थी, लेकिन सूची बद्ध किसानों की धान खरीद हुई या नहीं, इसकी जांच नहीं हो सकी. पैक्स अध्यक्ष को दोषी मान कर उस पर एफआइआर भी दर्ज कर दी गयी है. संभव है कि उस पर कार्रवाई भी हो जायेगी, लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई है.
किसान को आत्महत्या के लिए विवश करने में सिस्टम के कोलैप्स कर जाने का बड़ा हाथ है. यदि धान खरीद प्रक्रिया को थोड़ा आसान बनाया गया होता, तो आज शायद गजेंद्र जीवित होता और उसके दो बच्चे अनाथ नहीं हुए होते. जब आखिर इन अधिकारियों की जवाबदेही कौन तय करेगा.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement