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हावड़ा, आसनसोल, सिलीगुड़ी में मोनो रेल

कोलकाता: राज्य में परिवहन व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने यहां मोनो रेल चलाने का फैसला किया है. मुंबई की तर्ज पर ही राज्य में सिलीगुड़ी, दुर्गापुर, आसनसोल व हावड़ा में मोनो रेल चलाने के लिए राज्य सरकार ने कवायद शुरू कर दी है. यहां मोनो रेल परियोजना को शुरू […]

कोलकाता: राज्य में परिवहन व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने यहां मोनो रेल चलाने का फैसला किया है. मुंबई की तर्ज पर ही राज्य में सिलीगुड़ी, दुर्गापुर, आसनसोल व हावड़ा में मोनो रेल चलाने के लिए राज्य सरकार ने कवायद शुरू कर दी है.

यहां मोनो रेल परियोजना को शुरू करने से पहले राज्य के परिवहन सचिव अलापन बंद्योपाध्याय ने रिपोर्ट बनाना शुरू कर दिया है. इस संबंध में वह जानकारी एकत्रित करने के लिए मुंबई गये हैं और वहां मेट्रोपॉलिटन विकास विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले महाराष्ट्र सरकार ने वहां मोनो रेल सेवा शुरू की है. अब राज्य सरकार भी इसी तर्ज पर मोनो रेल सेवा शुरू करना चाहती है.

इस दिशा में सरकार ने पहल भी शुरू कर दी है. इन दो शहरों के साथ सिलीगुड़ी तथा हावड़ा शहर का भी चयन किया गया है. राज्य के परिवहन सचिव अलापन बनर्जी ने मंगलवार को इस मुद्दे पर मुंबई मेट्रोपोलिटन रिजनल डेवलपमेंट ऑथोरिटी के वरीय अधिकारियों से विचार विमर्श किया. ऑथोरिटी अधिकारियों ने इस संबंध में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया.
बैठक के बाद परिवहन सचिव श्री बनर्जी ने कहा कि शहरों में ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को बेहतर बनाने तथा भविष्य में शहरों की बढ़ती आबादी को देखते हुए इस परियोजना पर विचार करना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि मुंबई की ही तरह पश्चिम बंगाल के कई शहरों की स्थिति है. इन शहरों में भी घनी आबादी निवास करती है. सड़कों के चौड़ीकरण के लिए जमीन आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती है. भूमिगत मेट्रो बनाने में भी काफी परेशानी हो रही है. इस स्थिति में मोनो रेल की परियोजना काफी सरल हो सकती है. उन्होंने कहा कि हावड़ा, आसनसोल, दुर्गापुर तथासिलीगुड़ी में मोनो रेल चलाने की संभावनना पर विचार किया जा रहा है. पिछले वर्ष से ही मुंबई में यह सेवा शुरू की गयी है.

इसका संचालन मुंबई मेट्रोपोलिटन रिजनल डेवलपमेंट ऑथोरिटी करती है. इसके अधिकारियों से इस संबंध में काफी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है. इस दिशा में ही उन्होंने मंगलवार को अधिकारियों के संग बैठक की. आनेवाले समय में कई और भी बैठकें होंगी. श्री बनर्जी के अनुसार एक ट्रेन में चार से छह डिब्बे होते हैं. इनमें बैठने की सीटें कम, लेकिन खड़े होने की जगह काफी होती है. चार डिब्बों में पांच सौ से अधिक तथा छह डिब्बों में आठ सौ से अधिक यात्री सफर कर सकते हैं. इसके परिचालन का मुख्य उद्देश्य शहर की सड़कों से यात्रियों का बोझ कम करना है.

इसके परिचालन से दुर्घटना की आशंका भी कम रहती है तथा आम सिटी बसों की तुलना में ध्वनि प्रदूषण भी कम होता है. मोनो रेल की स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है. औसतन 50 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से इनका परिचालन होता है. पुराने स्वरूप में मोनो ट्रेन का परिचालन आजादी से पहले कंदला वैली रेलवे तथा पटियाला स्टेट मोनो रेल रेलवे में होता था. लेकिन ब्रिटिश शासकों ने वर्ष 1920 में इसका परिचालन बंद कर दिया. आजादी के बाद सबसे पहले इसका परिचालन मुंबई में शुरू किया गया. वर्ष 2009 में इसका शिलान्यास किया गया. इसके निर्माण का दायित्व लार्सन एंड टुब्रो तथा मलेशिया की कंपनी स्कॉमी इंजीनियरिंग को सौंपा गया.

पहला डिब्बा मलेशिया से निर्मित होकर दो जनवरी, 2010 को देश में आया. इसका उद्घाटन दो फरवरी, 2014 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने किया. पहले इसका परिचालन बाडला डिपो से चेंबूर तक किया गया. सुबह सात बजे से अपराह्न् तीन बजे तक इसका परिचालन होता था. लेकिन 15 अप्रैल से इसके परिचालन का समय बढ़ा कर सुबह छह बजे से संध्या आठ बजे तक कर दिया गया है. इसके चार डिब्बों में 568 तथा छह डिब्बों में 852 यात्रियों के सफर की व्यवस्था है. इसमें न्यूनतम भाड़ा पांच रुपये हैं.

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