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जन्म, रचना व सोचपूर्ति की रात है शिव रात्रि : योगी अश्विनी

कोलकाता. शिवरात्रि जन्म की रात है. यह मिलन, रचना, अभिव्यक्ति, सोच पूर्ति की रात है. शिव शब्द बना है ‘शव’ यानि मृत शरीर व ‘ई’ यानी शक्ति- वह बल जिससे सृष्टि चलती है. इस बल को प्रकट होने के लिए वाहन या शरीर की जरूरत होती है ताकि शव शिव बन जाये और इस प्रकार […]

कोलकाता. शिवरात्रि जन्म की रात है. यह मिलन, रचना, अभिव्यक्ति, सोच पूर्ति की रात है. शिव शब्द बना है ‘शव’ यानि मृत शरीर व ‘ई’ यानी शक्ति- वह बल जिससे सृष्टि चलती है. इस बल को प्रकट होने के लिए वाहन या शरीर की जरूरत होती है ताकि शव शिव बन जाये और इस प्रकार एक बच्चे का जन्म होता है. इसी प्रकार शिवरात्रि की रात अपने विचारों को फलीभूत करने की शक्ति है. ये बातें योगी अश्विनी ने कहीं. उन्होंने कहा कि ध्वनि विचारों को प्रकट करने का सबसे शक्तिशाली माध्यम है. मंत्र एक संहिताबद्ध ध्वनि है. इसमें किसी भी चीज को भौतिक रूप देने की शक्ति है, चाहे वह कोई वस्तु प्राप्ति की इच्छा हो या किसी दैवीय शक्ति की इच्छा. शिवरात्रि की रात को मंत्रों की क्षमता कई गुणा बढ़ जाती है जो कि महीनों की एकत्रित मंत्र साधना से भी अधिक है. मंत्र एक गुरु द्वारा प्राप्त होना चाहिए. ऐसा गुरु जिसने खुद उस पर सिद्धि प्राप्त की तभी वह मंत्र आपके अंदर फलीभूत होगा. सनातन क्रि या में कहा गया है कि गुरु सान्निध्य में शिवरात्रि की रात को मंत्रोच्चारण करने से शिव स्वरूप से साक्षात्कार होता है. इसके लिए जरूरी है कि आपका गुरु माया के मोह से मुक्त हो और यह विद्या उन्होनें नि:शुल्क प्रदान की हो.

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