जिसके लिए पहले कई स्तरों पर अनुमति लेनी पड़ती थी. कोयला उत्पादन पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा, जिससे देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में और मदद मिल पायेगी. उन्होंने कहा कि कंपनी के लिए यह अवसर अभूतपूर्व है. वर्षों तक नुकसान में रहने के बाद कंपनी लगातार चार सालों से मुनाफा कमा रही है. आगे भी कंपनी का प्रदर्शन अच्छा बना रहे, इसके लिए कई मोरचों पर तैयारी की जा रही है. कंपनी के स्तर से परंपरागत उत्पादन तकनीक-तरीकों को छोड़ कर आधुनिक तकनीक पर आधारित स्वचालित मशीनों का उपयोग किया जा रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 में कंपनी ने 36 मिलियन टन से ज्यादा कोयला उत्पादन कर निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 104 प्रतिशत उत्पादन दर्ज किया.
कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) की एकमात्र अनुषंगी कंपनी थी, जिसने भूमिगत (अंडरग्राउंड) कोयला उत्पादन के मामले में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की. कंपनी की झांझरा क्षेत्रीय परियोजना देश की सबसे मशीनीकृत भूमिगत परियोजना बन चुकी है. इससे हर साल 3.2 मिलियन टन कोयला का उत्पादन हो सकेगा. कंपनी में तीन कंटिन्यूअस माइनर मशीन चल रहीं हैं. इनसे लगातार 24 घंटे कोयला खनन हो रहा है. सीएमडी के तकनीकी सचिव व महाप्रबंधक निलाद्री राय ने बताया कि बीआइएफआर से बाहर आ जाने के बाद 150 करोड रु पये तक की लागत वाली परियोजनाओं को मंजूर करने का फैसला कंपनी निदेशक बोर्ड अब खुद ही ले पाएगा, जबकि अब तक कंपनी बोर्ड को सिर्फ 20 करोड़ रु पये तक की परियोजना को मंजूरी देने की इजाजत थी. इस फैसले से कंपनी को आर्थिक रूप से ज्यादा स्वतंत्रता मिल पायेगी.
इससे परियोजनाओं की मंजूरी और उनके क्रि यान्वयन में लगने वाला समय काफी कम हो जायेगा. खदानों को आधुनिक तकनीक वाली ऑटोमैटिक मशीनों से लैस करने की प्रक्रि या और तेज होगी. कंपनी के कर्मचारियों के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं में भी इजाफा होगा. इसकी सूचना मिलने के बाद कंपनी अधिकारियों व कर्णियों में जश्न का माहौल है. उन्होंने कहा कि इस फैसले के आने के बाद कंपनी के सभी कर्मियों का मनोबल ऊंचा हुआ है, जिसका सीधा प्रभाव आने वाले दिनों में कोयला उत्पादन में बढ़त के रूप में दिखेगा.