इस अध्यादेश को जब तक केंद्र सरकार वापस नहीं ले लेती है, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. 10 फरवरी को फेडरेशन द्वारा कोल इंडिया मुख्यालय सहित सभी अनुषंगी कंपनियों के कार्यालय के समक्ष आठ घंटे का विरोध प्रदर्शन किया जायेगा. यह जानकारी मंगलवार को फेडरेशन के अध्यक्ष बासुदेव आचार्य ने महानगर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी.
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के इस अध्यादेश व कोल इंडिया में विनिवेश सहित अन्य मुद्दों पर सभी श्रमिकों ने मिल कर छह व सात जनवरी को कोयला उत्पादन बंद रखा था. हालांकि यह हड़ताल भले ही पांच दिनों का था, लेकिन दो दिनों में ही श्रमिकों ने अपनी ताकत दिखा दी थी. हड़ताल के दूसरे दिन केंद्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने अध्यादेश में संशोधन की बात कह कर हड़ताल को वापस लेने का अनुरोध किया था. केंद्र सरकार व श्रमिक यूनियनों के बीच हुए समझौते में कोल इंडिया की पांच सेंट्रल ट्रेड यूनियनों में से सीटू को छोड़ कर बाकी चार संगठनों ने हस्ताक्षर किया था.
इस संबंध में फेडरेशन के महासचिव जीवन राय ने कहा कि अब ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन ने चार यूनियनों से हट कर अकेले आंदोलन करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार कोल इंडिया के निजीकरण की ओर से बढ़ रही है, जिस प्रकार से अध्यादेश पेश कर पास कराया गया है, वह असंवैधानिक है. निजी कंपनियों के हितों को ध्यान में रख कर ऐसा किया जा रहा है, इससे आनेवाले समय में कोल इंडिया के अस्तित्व भी खतरे में आ सकता है. इसलिए श्रमिक व कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए फेडरेशन अपना आंदोलन जारी रखेगी.