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परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं : पं ताराचंद शास्त्री

हावड़ा. परोपकार से बड़ा कोई पुण्य और परपीड़ा से बड़ा कोई पाप नहीं है. अत: हमे इस बात के प्रति सदैव सतर्क रहना चाहिए कि हमसे भूलकर भी किसी का बुरा ना हो जाय. किसी का दिल ना दुख पाय. ये उदगार बुधवार को बंगेश्वर महादेव नया मंदिर में भागवत भक्ति ज्ञानयज्ञ के छठे दिन […]

हावड़ा. परोपकार से बड़ा कोई पुण्य और परपीड़ा से बड़ा कोई पाप नहीं है. अत: हमे इस बात के प्रति सदैव सतर्क रहना चाहिए कि हमसे भूलकर भी किसी का बुरा ना हो जाय. किसी का दिल ना दुख पाय. ये उदगार बुधवार को बंगेश्वर महादेव नया मंदिर में भागवत भक्ति ज्ञानयज्ञ के छठे दिन वृंदावन से पधारे भागवत भूषण ताराचंद शास्त्री महाराज ने व्यक्त किये. पं शास्त्री ने कहा कि वर्ष का अंत हो रहा है, ऐसे में हमे अब तक जो भी गलती हम कर चुके हैं, उसे त्याग कर नये वर्ष की पूर्व संध्या पर नये सिरे से नव संकल्प से साथ स्वयं के लिए, समाज के लिए और राष्ट्र के नव निर्माण के लिए तैयार हों. पं शास्त्री ने प्रसंग के अनुसार, महारास कथा, कंसवध आदि पर सारगर्भित वक्तव्य रखा. कथा यजमान किशन लाल चौमाल ने बताया कि गुरुवार को कथा का समापन सुदामा चरित्र, कला उद्दव संवाद परीक्षित मोक्ष व व्यास पूजन के साथ होगा.

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