कोलकाता: कोलकाता के नाम पहले से ही कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. इस ऐतिहासिक शहर को देश की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. देश के चार महानगरों में से एक कोलकाता के नाम अब एक नया रिकॉर्ड दर्ज होने जा रहा है. अगले वर्ष से इस शहर में एक भी कूड़ेदान नजर नहीं आयेगा. अर्थात कोलकाता देश का पहला कूड़ेदान मुक्त शहर बन जायेगा.
कूड़ेदानों को हटाने की प्रक्रिया इस वर्ष के आरंभ से ही हो चुकी है. इसके लिए महानगर के विभिन्न इलाकों में आधुनिक कंपैक्टर लगाये जा रहे हैं. जो कचड़े को एकत्रित कर उसे एक बंडल का आकार दे देता है. फिर कचड़े के उस बंडल को फौरन धापा डंपिंग ग्राउंड में ले जा कर फेंक दिया जाता है. निगम की योजना पूरे महानगर में 78 कंपैक्टर स्टेशन तैयार करने की है.
यह सभी बड़े-बड़े कूड़ेदान के स्थान पर लगाये जायेंगे. इनमें से आधे का काम लगभग पूरा हो चुका है. कई कंपैक्टर स्टेशन पहले से ही काम कर रहे हैं. जनवरी के दूसरे सप्ताह तक 37 और कंपैक्टर स्टेशन शुरू कर दिये जायेंगे. इसके साथ ही घरों से भी कचरा उठाये जाने की योजना है, जिसके लिए बड़ी संख्या में बैट्री चालित वाहन खरीदे जा रहे हैं. नये ठेका सफाई कर्मियों की भी नियुक्ति की जा रही है. अब तक निगम के दायरे में जोका एवं सॉल्टलेक स्टेडियम के आसपास का इलाका भी शामिल हो गया है.
इन दोनों जगहों की सफाई के लिए भी अतिरिक्त सफाई कर्मी काम पर लगाया जायेगा. विभागीय मेयर परिषद सदस्य देवब्रत मजुमदार ने कहा कि इस शहर को साफ-सुथरा रखना हम सब का दायित्व है. पहले शहरी की केवल एक बार सवेरे सफाई होती थी. अब महानगर में सवेरे के अलावा दोपहर में भी सफाई की जा रही है. कुछ इलाकों में तो तीन-तीन बार सफाई का काम हो रहा है. हमारा लक्ष्य इस शहर को कूड़ेदान मुक्त शहर बनाना है. इसके लिए हम लोगों ने जवाहरलाल नेहरु नेशनल अर्बन रिनुअल मिशन के तहत केंद्र से फंड की मांग की थी, पिछली यूपीए सरकार ने फंड देना स्वीकार भी कर लिया था, पर वर्तमान भाजपा सरकार ने फंड रोक दिया है. इसके बावजूद हम लोग राज्य सरकार की सहायता एवं अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर इस लक्ष्य को हासिल करेंगे.