फोटो है कोलकाता. निर्वाण पाठीधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती जी ने सत्संग भवन, मालापाड़ा में आयोजित नव दिवसीय परम ब्रह्मस्वरूप मां त्रिपुर सुंदरी की विविध लीला चरित्र व श्रीमददेवी भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में नारी शक्ति पर अपने सारगर्भित प्रवचन में कहा कि विश्व में भारत एक ऐसा देश है जहां नारी के प्रथम स्वरूप कन्या का पूजन होता है और दुर्गा, सरस्वती,अंबिका आदि नामों आदर दिया जाता है. कन्याओं के पूजन से भक्त के मनोरथ पूर्ण होते है. जहां नारी का पूजन होता है वहां देवता और ऋद्धि-सिद्धि रमण करते हैं. यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमंते तत्र देवता. भारत की नारी को सीता, सावित्री, गंगा, गोदावरी जैसे पावन नाम दिये गये है. वेदों के शीर्ष ज्ञान में कहा गया है कि उस परब्रह्म ने इच्छा की कि मै एक हूं , पर एक होकर कोई लीला नहीं की जा सकती है, इसलिए मैं अनेक हो गया हूं . इस इच्छा की पूर्ति के लिए नारी की रचना की गयी और उसके बाद गोनों के संयोग से सृष्टि का संपूर्ण कार्य सक्रिय किया गया. नारी का महत्व पुरुष के महत्व से कम नहीं है. ब्रह्मा, विष्णु, महेश मणिद्वीप में राजराजेश्वरी के दर्शन के लिए गये तो भगवती राजेश्वरी ने ब्रह्मा को सरस्वती, विष्णु को लक्ष्मी व शिव को पार्वती सृष्टि चलाने के लिए अर्पित की व कहा कि देवियों का सम्मान व सुख-दु:ख का ध्यान रखना. देवियों के दिव्य आचरण से भारतीय नारी को प्रेरणा लेनी चाहिए. नारी में संस्कार परम आवश्यक है. सत्संग भवन के ट्रस्ट मंडल के सचिव पंडित लक्ष्मीकांत तिवारी ने बताया कि शुक्रवार 19 दिसम्बर को श्रद्धेय क्षमाराम जी महाराज व 20 दिसम्बर को राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के आर्शीवचन का लाभ श्रद्धालुओं को मिलेगा.
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नारी में संस्कार परम आवश्यक : स्वामी विशोकानंद भारतीजी
फोटो है कोलकाता. निर्वाण पाठीधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती जी ने सत्संग भवन, मालापाड़ा में आयोजित नव दिवसीय परम ब्रह्मस्वरूप मां त्रिपुर सुंदरी की विविध लीला चरित्र व श्रीमददेवी भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में नारी शक्ति पर अपने सारगर्भित प्रवचन में कहा कि विश्व में भारत एक ऐसा देश है जहां नारी के प्रथम स्वरूप […]
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