मालदा: कलियुग की इस दुनिया में जहां लोग सिर्फ और सिर्फ पैसों को तवज्जो देते हैं, पैसे के लिए भाई-भाई व बेटा बाप की जान ले लेता है, रुपये के लिए जहां लोग गलत रास्ते तक अपना लेते है, वहीं इसी दुनिया में कभी-कभार रुपये-पैसों पर ध्यान नहीं देकर सिर्फ अपनी जरूरतों के हिसाब से कमाने व सच्चई व ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति भी मिल जाते हैं.
इस तरह के व्यक्ति साबित कर देते हैं कि आज भी दुनिया में सच्चई व ईमानदारी जीवित है. एक झालमुड़ी विक्रेता ने एक व्यक्ति का 70 हजार रुपये लौटा कर सच्चई व ईमानदारी की मिसाल पेश की.
झालमुड़ी विक्रेता डाकु घोष ने गुरुवार सुबह उत्तर बंगाल राष्ट्रीय परिवहन निगम के केजे सान्याल रोड स्थित बस स्टैंड इलाके में एक बस के भीतर एक पैकेट पड़े रहते देखा. उसने पैकेट खोलकर देखा कि उसमें नोटों का बंडल भरा है. उसने तुरंत नोटों के बंडल भरे पैकेट उत्तर बंगाल राष्ट्रीय परिवहन संस्था के अधिकारियों को सौंप दिया. मालदा डिपो के एसआइ मानिक कुमार दास ने बताया कि वह काफी दिनों से झालमुड़ी विक्रेता डाकु घोष को पहचानते हैं. वह मालदा शहर के एक नंबर वार्ड के विश्वनाथ मोड़ इलाके में रहता है. करीब 10 सालों से ज्यादा समय से डाकु घोष बस स्टैंड इलाके में मुड़ी बेचता है. आज दोपहर 12 बजे के आसपास कोलकाता-मालदा जाने वाली एक सरकारी बस में झालमुड़ी बिक्री करते वक्त उसने बस के पीछे के सीट के नीचे एक कैरिबैग में नोटों का बंडल देखा और तुंरत बस डिपो में सौंप दिया. उन्होंने बताया कि कालियाचक के किसी व्यवसायी के ये रुपये थे. वह मालदा के किसी बैंक में 70 हजार रुपये जमा करने आये थे. असावधानी के कारण उसके बैग से नोटों का बंडल गिर गया.
बाद में व्यवसायी ने बस डिपो में संपर्क किया और रुपये खोने के बारे में बताया. व्यवसायी को उनके 70 हजार रुपये लौटा दिये गये. उल्लेखनीय है कि डाकु घोष अत्यंत गरीब है. वह मुश्किल से अपने परिवार का पेट पाल रहा है. उसकी पत्नी व दो बच्चे हैं. फिर भी उसे रुपये पर लालच नहीं आया और उसने रुपये लौटा कर अपनी ईमानदारी व सच्चई का मिसाल पेश किया.