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बरसात में फिर मुसीबतों की बारिश

कोलकाता: बरसात का मौसम शुरू हो चुका है. रिमझिम बारिश के साथ मानसून कोलकाता में दस्तक दे चुका है. अब लोगों को जल जमाव की चिंता भी सताने लगी है. कोलकाता नगर निगम का दावा है कि उसने पहले से ही जल जमाव की समस्या से निपटने की तैयारी कर रखी है. पर निगम के […]

कोलकाता: बरसात का मौसम शुरू हो चुका है. रिमझिम बारिश के साथ मानसून कोलकाता में दस्तक दे चुका है. अब लोगों को जल जमाव की चिंता भी सताने लगी है. कोलकाता नगर निगम का दावा है कि उसने पहले से ही जल जमाव की समस्या से निपटने की तैयारी कर रखी है. पर निगम के इस दावे पर स्वयं निगम के निकासी विभाग के अधिकारियों को ही यकीन नहीं है.

निगम के कुछ अधिकारियों का कहना है कि जमीनी सच्चई पर ध्यान दिये बगैर की तैयारी के कारण इस वर्ष भी बरसात के मौसम में महानगर के डूबने की आशंका है. पिछले वाम मोरचा बोर्ड के समय महानगर की तीन प्रमुख सड़कें एजेसी बोस रोड, एपीसी रोड व बीडन स्ट्रीट के नीचे से गुजरनेवालीं निकासी लाइनों की सफाई का काम शुरू हुआ था.

इन निकासी लाइनों में जमे हुए कचड़े को हटाया गया था, पॉलीथिन को निकाला गया था. कई स्थानों पर लगभग 100 वर्ष पुरानी निकासी लाइन को बदल कर आधुनिक पाइप लगाय गये थे. जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के फंड से यह काम किया गया था. इनमें से कुछ काम तो उस वक्त ही पूरे हो गये थे. कुछ काम तृणमूल बोर्ड के समय पूरे हुए. इस पूरी परियोजना पर 85 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. एजेसी बोस रोड, एपीसी रोड व बीडन स्ट्रीट से होकर गुजरनेवाली निकासी लाइन पामर बाजार आउटकट में आ कर गिरती है.

आशंका जतानेवाले अधिकारियों का कहना है कि निकासी लाइनों की साफ-सफाई तो बेहतर ढंग से हुई है, लेकिन पामर बाजार आउटकट में जहां मुहाने हैं और जहां आकर इन तीनों लाइनों से आनेवाला पानी गिरता है, उसके मुंह को ही साफ नहीं किया गया. वहां अभी भी पहले की तरह ही कचरा जमा है. इस कारण पूरी परियोजना नाकाम होती दिख रही है. मुंह की सफाई नहीं होने के कारण निकासी लाइनों से आनेवाला पानी वहां आकर जम जायेगा. ऐसे में पहले की तरह ही जिन इलाकों से यह तीनों निकासी लाइनें गुजरतीं हैं, वहां बरसात का पानी जम जायेगा.

मेयर पर अनदेखी का आरोप
अधिकारियों के अनुसार इस बारे में मेयर शोभन चटर्जी से कई बार बात की गयी, पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया. निगम के परफॉर्मेस ऑडिट रिपोर्ट में भी इस गलती पर सवाल उठाये गये हैं. वहीं, परियोजना के लिए फंड देनेवाले जेएनएनयूआरएम के अधिकारियों ने भी निगम के सामने अपनी नाराजगी प्रकट की है. सूत्रों के अनुसार जेएनएनयूआरएम अधिकारियों का कहना है कि 85 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद यह लापरवाही क्यों की गयी. निकासी लाइनों के मुंह को क्यों नहीं साफ किया गया. इस बारे में मेयर व विभागीय मेयर परिषद सदस्य कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं हैं.

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