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‘मेक इन इंडिया’ का उद्देश्य अधिकतम मुनाफा कमाना
नयी दिल्ली/कोलकाता : माकपा ने ‘मेड इन इंडिया’ लक्ष्य को ‘मेक इन इंडिया’ में बदलने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और कहा कि यह देश के संसाधनों और सस्ते श्रमिक का दोहन कर अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिए विदेशी पूंजी को ‘खुला आमंत्रण’ है. माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी […]
नयी दिल्ली/कोलकाता : माकपा ने ‘मेड इन इंडिया’ लक्ष्य को ‘मेक इन इंडिया’ में बदलने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और कहा कि यह देश के संसाधनों और सस्ते श्रमिक का दोहन कर अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिए विदेशी पूंजी को ‘खुला आमंत्रण’ है.
माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में ‘मेड इन इंडिया’ को अपना लक्ष्य घोषित करते हुए भारत को औद्योगिक केंद्र बनाने की बात की थी. अमेरिका में, उन्होंने बार बार ‘मेक इन इंडिया’ की बात की.
श्री येचुरी ने कहा कि पहले नारे में भारत के औद्योगिक आधार को मजबूत बनाने पर जोर दिया जाता है जबकि दूसरा विदेशी निवेश खासकर अमेरिकी निवेश के लिए खुला आमंत्रण है. उन्होंने कहा कि उन लोगों का मुख्य उद्देश्य हमेशा अधिकतम मुनाफा कमाना है न न कि भारत की उत्पादन क्षमता बढाना.
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ‘अधिकतम मुनाफा कमाने के लिए’ भारत अपने सस्ते श्रमिक, संसाधन और बाजार को खोलकर और अधिक आर्थिक उदारीकरण के लिए तैयार हो रहा है. यह भारतीय लोगों पर और बोझ डालने के लिए निश्चित नुस्खा है.
श्री येचुरी ने माकपा की पत्रिका ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के ताजा अंक के संपादकीय में कहा है कि लोगों पर और ज्यादा आर्थिक बोझ लादने तथा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का घातक मिश्रण :कॉकटेल: मोदी नीत इस राजग सरकार में और बढ रहा है.
उन्होंने कहा कि थोकमूल्य सूचकांक में कमी के बारे में काफी कुछ कहा जा रहा है. लेकिन जहां तक आम जनता का सवाल है कि उसके लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ज्यादा अहम है जो हमेशा थोकमूल्य सूचकांक से काफी ज्यादा होता है. श्री येचुरी ने कहा कि मुद्रास्फीति की दर में कमी का अर्थ कीमतों में कमी नहीं है. इसका अर्थ यह है कि कीमतों में वृद्धि की दर पहले की अपेक्षा कम है. हालांकि कीमतें बढ रही हैं. माकपा नेता ने कहा कि कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में अभूतपूर्व कमी होने के कारण आयात खर्च घटने से अर्थव्यवस्था पर भार कम हुआ है.
उन्होंने कहा कि इससे डीजल की कीमतों में कमी आनी चाहिए थी.उन्होंने कहा कि इसके बाद भी डीजल की कीमत में कमी नहीं की गयी है जबकि पेट्रोल की कीमतों में कमी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमी की तुलना में काफी कम है.
उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा कारोबारियों को भारी मुनाफा कमाने का मौका दिया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसका अर्थ मोदी के चुनाव प्रचार का खासा खर्च उठाने वालों को ‘वापस भुगतान करने का समय’ है. श्री येचुरी ने दलील दी कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी तेल के एक प्रमुख निर्यातक रूस पर दबाव बनाने के लिए है, ताकि वह यूक्रेन से बाहर हट जाये.
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