6-7 मिनट के अंतर पर चलेंगी ट्रेनें
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ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोजेक्शन सिस्टम के जरिये ट्रेनें होंगी नियंत्रित
6-7 मिनट के अंतर पर चलेंगी ट्रेनें एक कंट्रोल सिस्टम से 200 किमी की दूरी तक ऑपरेट हो जायेंगी ट्रेनें कोलकाता/ हावड़ा : ट्रेनाें काे चलाने में कम समय लगे, इसके लिए रेलवे ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोजेक्शन (एटीपी) सिस्टम लागू करने जा रहा है. एटीपी सिस्टम कुछ हद तक एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सिस्टम की तरह […]
एक कंट्रोल सिस्टम से 200 किमी की दूरी तक ऑपरेट हो जायेंगी ट्रेनें
कोलकाता/ हावड़ा : ट्रेनाें काे चलाने में कम समय लगे, इसके लिए रेलवे ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोजेक्शन (एटीपी) सिस्टम लागू करने जा रहा है. एटीपी सिस्टम कुछ हद तक एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सिस्टम की तरह काम करेगा. इससे दो ट्रेनों काे चलाने के बीच का अंतर औसतन 20 मिनट से कम होकर छह से सात मिनट रह जायेगा. इससे ट्रेन कम समय में स्टेशन पर पहुंचेंगी. एटीपी सिस्टम काे लागू करने के लिए 640 किमी. में पायलट प्रोजेक्ट की मंजूरी दे दी गयी है. टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले वर्ष 2020, अप्रैल से काम शुरू होने की संभावना है.
उम्मीद जतायी जा रही है कि अगले 24 से 30 महीने में यह काम पूरा हो जायेगा. इस सिस्टम के लागू होने से एक से दूसरे सिग्नल तक पहुंचने में ट्रेनों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा. एटीपी की मदद से कंट्रोलर, एक ट्रेन निकलने के बाद दूसरी ट्रेन को सिग्नल दे देगा. इससे ट्रेनाें काे चलाने के बीच के समय की बचत हाेगी.
क्या है एटीपी सिस्टम
एटीपी सिस्टम में रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल होगा. एक रेडियाे, ट्रेन ड्राइवर के पास और दूसरा स्टेशन मास्टर और कंट्रोलर के पास होगा. ट्रेन व कंट्राेलर इसके संपर्क में रहेंगे. जब ट्रेन स्टेशन पार कर जायेगी, तो अगले स्टेशन मास्टर या कंट्रोलर के पास सिग्नल पहुंच जायेगी. इससे काेई दिक्कत आने पर ड्राइवर और स्टेशन मास्टर आपस में बात भी कर सकते हैं.
अभी क्या है सिस्टम
ट्रैक पर प्रत्येक सिग्नल के पास डिवाइस लगी होती है. जब ट्रेन सिग्नल के पास आती है, तो डिवाइस के माध्यम से सूचना स्टेशन मास्टर को दी जाती है और वह कंट्रोलर को देता है. कंट्रोलर अपने सेक्शन में तब तक दूसरी ट्रेन को आने का सिग्नल नहीं देता, जब तक ट्रेन अगले सिग्नल को पार नहीं कर जाती है.
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