स्कूली छात्रों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता सीबीएसइ की
आसनसोल : स्कूल में यदि आपके बच्चे को फीवर हो गया, तो डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है. लू भी लग गया, तो इलाज स्कूल में ही हो जायेगा. अस्थमा की प्रॉब्लम होगी, तो स्कूल से छुट्टी लेने की जरूरत नहीं होगी. नये सत्र के शुरू होने के साथ ही स्कूलों में नये कोर्स की भी शुरुआत हो रही है. इन कोर्स के तहत इस बार से कुछ नयी चीजें भी पढ़ायी जायेंगी. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसइ) के निर्देश पर नौवीं और दसवीं के स्टूडेंट्स को मेडिकल की जानकारी दी जायेगी.
डॉक्टर व एक्सपर्ट देंगे ट्रेनिंग
कोर्स में शामिल मेडिकल की जानकारी के लिए अब स्कूलों में डॉक्टरों को बुलाया जायेगा. हफ्ते में तीन दिन की क्लास करायी जायेगी. इसके लिए स्कूलों को अपने स्तर से डॉक्टरों से संपर्क करना होगा. इस दौरान बच्चों में होनेवाली बीमारियों और उनके लक्षणों के बारे में बताया जायेगा. इससे स्टूडेंट्स बीमारियों के प्रति अवेयर हो सकेंगे. बोर्ड के अनुसार इस साल से शुरू हो रही इसकी पढ़ाई कराना हर स्कूल के लिए जरूरी है. बीमार बच्चों की बढ़ती संख्या हर दिन स्कूलों में बच्चों के बीमार होने की संख्या बढ़ रही है.
स्कूल की ओर से फस्र्ट एड या रेस्ट रूम तो रखने की व्यवस्था होती है, यदि बच्चों को खुद इसकी जानकारी हो तो, वो खुद की केयर कर सकेंगे. बोर्ड के अनुसार नौवीं और दसवीं के स्टूडेंट्स बड़े हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें जो भी उन्हें सिखाया जायेगा, उसे वे तुरंत सीख लेंगे. इस कारण इन दो क्लास में इसे शुरू किया जायेगा. एकेडमिक कोर्स के अलावा स्टूडेंट्स को मेडिकल की जानकारी भी दी जायेगी. फस्र्ट एड के उपयोग की बेसिक जानकारी दी जायेगी. दुर्घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन की भी बेसिक जानकारी अब छात्रों को स्कूल में ही दी जायेगी.