- काफी कोशिश के बाद लिलुआ थाने की पुलिस ने किया गिरफ्तार
- लिलुआ, बारासात, विधानगर व उल्टाडांगा थाने में दर्ज हैं ठगी के मामले
- पूरे परिवार पर फर्जी तरीके से तीन करोड़ से ज्यादा का लोन लेने का आरोप
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फर्जी दस्तावेज तैयार कर करोड़ों का लोन लेने का आरोप, पुलिस ने किया गिरफ्तार
काफी कोशिश के बाद लिलुआ थाने की पुलिस ने किया गिरफ्तार लिलुआ, बारासात, विधानगर व उल्टाडांगा थाने में दर्ज हैं ठगी के मामले पूरे परिवार पर फर्जी तरीके से तीन करोड़ से ज्यादा का लोन लेने का आरोप कोलकाता : फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने कर्मचारी के नाम पर एक राष्ट्रीयकृत बैंक से लोन लेने […]
कोलकाता : फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने कर्मचारी के नाम पर एक राष्ट्रीयकृत बैंक से लोन लेने के मामले में लिलुआ थाने ने एक शातिर ठग को गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम तीर्थंकर उर्फ राजदीप दे है. वह उल्टाडांगा के दासपाड़ा, दालपट्टी किर्तीवास मुखर्जी रोड इलाके का रहने वाला है.
उसे हावड़ा कोर्ट में पेश करने पर कोर्ट ने उसे 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. वह अपने को कपड़ा व्यसायी बताता है.
आरोपी के खिलाफ लिलुआ समेत उल्टाडांगा, विधाननगर और बारासात थाने में फर्जी तरीके से बैंकों से व आम लोगों से रुपये हड़पने का मामले दर्ज हैं. 19 नवंबर 2016 को आरोपी तीर्थंकर उर्फ राजदीप दे के खिलाफ पवन प्रसाद ने लिलुआ थाने में उसके नाम पर लोन निकालने और उसे ले लेने का एक मामला दर्ज कराया था.
जब कई माह तक कार्रवाई नहीं हुई तो पवन ने अगस्त 2017 में फिर से एक एफआइआर दर्ज करायी, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को 18 नवंबर 2018 को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उसे 26 नवंबर को हावड़ा कोर्ट में पेश की, जिसके बाद कोर्ट ने उसे 10 दिनों की पुलिस कस्टडी दी. एक दूसरे मामले में 9 दिसंबर को भी उसकी पेशी बारासात कोर्ट में हुई, जहां कोर्ट ने उसे चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेजी है.
घटना की जानकारी देते हुए लिलुआ थाने में मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी चंद्रप्रताप शर्मा ने बताया कि आरोपी के खिलाफ लिलुआ थाने में आईपीसी धारा के तहत 420 और 68 के तहत मामला दर्ज है.
तीर्थनकर उर्फ राजदीप दे दूसरे के नाम पर लोन करा कर उसे अपने या अपने परिवारवालों के एकाउंट में ट्रॉसफर करा लेता है. आरोपी ने अपना दो नाम रखा है एक तीर्थंकर और राजदीप दे. अपने पहले नाम पर भी उसने बैंक से 46 लाख रुपया लोन उठाया और रुपये वापस नहीं किया.
उसके बाद उसने फिर से अपने उसी घर को जिसपर पहले से लोन लिया था, उसे दिखा कर एक अन्य बीमा कंपनी से लोन लिया और बैंक का लोन पूरा किया. उसके बाद उसने लिलुआ में रहने वाले पवन प्रसाद नामक एक व्यक्ति को बहलाकर उसके नाम पर लोन करवाया.
लोन होते ही उसने पवन के एकाउंट से सारा रुपया अपनी मां के एकाउंट में ट्रॉसफर करवा दिया और उसका इस्तेमाल किया. अभी वह कहता है कि वह पैसा दे देगा. इसी तरह का धोखा उसने सात से आठ लोगों संग किया है. एक अनुमान के अनुसार वह तीन से चार करोड़ का लोन लेकर धोखाधड़ी कर चुका है.
लिलुआ थाने में मामला करनेवाले पवन का कहना था कि 2012 में तीर्थंकर नामक उक्त व्यक्ति ने उसे कपड़ा का कारखाना खुलवाने के नाम पर 2012 में सिलायदह स्थित एक सरकारी बैंक से 23 लाख रुपये का लोन आवंटित करवाया और सारा रुपये अपनी मां के एकाउंट में ले लिया. इसी तरह का एक मामला एक बैंक के तत्कालिक मैनेजर सुजीत कुमार बोस ने भी बारासात थाने में दर्ज किया है.
बैंक के मैनेजर का कहना है कि कई फर्जी दस्तावेज दिखाकर तीर्थंकर उर्फ राजदीप दे ने लोगों के साथ धोखाधड़ी की है. वह खुद तो नाम बदल कर दो बार लोन लिया ही, अन्य बैंकों में भी उसने अपनी पत्नी, मां और पिता के नाम पर फर्जी तरीक से लोन करवाया. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है.
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