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चिकित्सक के सर्टिफिकेट लौटाने का निर्देश

कोलकाता: एक चिकित्सक के बॉन्ड संबंधित मामले में चिकित्सक के स्नातकोत्तर सर्टिफिकेट व अन्य शिक्षा संबंधी सर्टिफिकेट को लौटाने का निर्देश कलकत्ता हाइकोर्ट ने दिया है. सोमवार को न्यायाधीश दीपंकर दत्त व न्यायाधीश शंपा सरकार की खंडपीठ ने इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च (आइपीजीएमआर) को यह निर्देश देने के अलावा याचिकाकर्ता को स्पष्ट कर […]

कोलकाता: एक चिकित्सक के बॉन्ड संबंधित मामले में चिकित्सक के स्नातकोत्तर सर्टिफिकेट व अन्य शिक्षा संबंधी सर्टिफिकेट को लौटाने का निर्देश कलकत्ता हाइकोर्ट ने दिया है. सोमवार को न्यायाधीश दीपंकर दत्त व न्यायाधीश शंपा सरकार की खंडपीठ ने इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च (आइपीजीएमआर) को यह निर्देश देने के अलावा याचिकाकर्ता को स्पष्ट कर दिया है कि सर्टिफिकेट न मिलने पर गुरुवार को वह फिर से अदालत में आ सकते हैं. अदालत का कहना था कि यदि सरकार किसी सरकारी कर्मचारी को करार के आधार पर मान्यता दे सकती है तो उस मामले में उसके स्थायी कर्मचारी के तौर पर व्यवहार नहीं कर सकती. इस मामले में चिकित्सक से करार पर हस्ताक्षर कराने के बाद राज्य खुद ही उसे नहीं मान रही.
उल्लेखनीय है कि डॉक्टरी पा करने के बाद राज्य के सरकारी अस्पताल में काम न करने पर बॉन्ड के पैसे अदा करने होंगे. इस करार पर दूसरे राज्य के चिकित्सकों को एक विषय पढ़ने का मौका राज्य सरकार देती है. करार मानकर बॉन्ड के पैसे देने पर भी सर्टिफिकेट वापस नहीं देने का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट में राहुल बंसल नामक चिकित्सक ने याचिका दायर की थी. उनके वकील कल्लोल बसु का कहना था कि उनके मुवक्किल राहुल बंसल ने डॉक्टरी पास करने के बाद कई बार राज्य सरकार को चिट्ठी देकर बताया कि वह उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहते हैं. इसलिए उनका डिग्री सर्टिफिकेट लौटा दिया जाये. लेकिन राज्य की ओर से चिट्ठी का उत्तर तक नहीं दिया गया. उन्होंने बॉन्ड का पैसा लौटा दिया है. अदालत में इससे संबंधित दस्तावेज भी पेश किये गये.

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