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पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाये सरकार

कोलकाता : पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत बढ़ने का सबसे ज्यादा असर मध्यम तबके पर पड़ रहा है. इस तबके के पास आमदनी सीमित होने और महंगाई का बोझ बढ़ने से रसोई का जायका बिगड़ रहा है. महंगाई के दूरगामी समाधान के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना जरूरी है. यह बातें […]

कोलकाता : पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत बढ़ने का सबसे ज्यादा असर मध्यम तबके पर पड़ रहा है. इस तबके के पास आमदनी सीमित होने और महंगाई का बोझ बढ़ने से रसोई का जायका बिगड़ रहा है. महंगाई के दूरगामी समाधान के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना जरूरी है. यह बातें ‘प्रभात खबर’ की ओर से आयोजित परिचर्चा ‘जन संवाद’ में शामिल पाठकों ने कही. इस बार जन संवाद परिचर्चा का मुद्दा ‘पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस की कीमत’ रखा गया.
कार्यक्रम महानगर के मानिकतला बाजार इलाके में आयोजित किया गया. कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता सागर प्रसाद माली ने किया. आइये जानते हैं उपरोक्त मुद्दे पर विशिष्ट लोगों की राय :
विकास जायसवाल (सामाजिक कार्यकर्ता) : पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की कीमत बढ़ने से सबसे ज्यादा बोझ मध्यम वर्ग पर पड़ रहा है, रियायत केवल बड़े-बड़े उद्योगपतियों को मिलती है. निम्न मध्यम वर्ग में ऐसा भी परिवार है, जिसकी मासिक आमदनी आठ-10 हजार रुपये है. पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छूने लगे हैं़ ऐसे में सबसे ज्यादा खामियाजा आम लोगों को ही भुगतना पड़ रहा है. आखिर सरकार क्यों नहीं पेट्रोल-डीजल के उत्पाद को भी जीएसटी के दायरे में लाने को तैयार नहीं है़
लालता प्रसाद जायसवाल (व्यवसायी) : अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत कम होती है तब भी देश में पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होते़ पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत में बढ़ोतरी से सबसे ज्यादा प्रभावित आम जनता होती है़ पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस की कीमत कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से पहल करें. साथ ही पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी के दायरे मेें लायें.
राजू जायसवाल : पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस की कीमत में बढ़ोतरी का असर हर वर्ग पर पड़ रहा है. इससे सबसे ज्यादा किसान प्रभावित हो रहे हैं. प्राय: बरसात के मौसम में किसान खेतीबारी करते हैं. बरसात में बिजली की समस्या रहती है. यदि पेट्रोल-डीजल का दाम कम रहेगा, तो किसान पेट्रोल-डीजल से मशीन चला कर फसलों की सिंचाई कर सकेंगे. इसके कीमत में इजाफा होने से किसानों की दिक्कत और बढ़ेगी. पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारण में पारदर्शिता होनी चाहिए.
श्री प्रकाश जायसवाल : देश की 80 प्रतिशत जनता सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. लेकिन सत्ता में आने के बाद 20 प्रतिशत भाग में शामिल बड़े पूंजीपतियों, उद्योगपतियों, कारपोरेट जगत के हित पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार मेें क्रूड ऑयल की कीमत कम होने पर भी पेट्रोल-डीजल की कीमत में कमी नहीं होती है? सरकार उत्पाद शुल्क मेें कटौती के बारे में क्यों नहीं सोचतीराकेश पांडेय (पुरोहित)
सटीक नीतियों के अभाव में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत लगातार बढ़ रही है़ हमारे देश की तुलना में अन्य कई देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमत काफी कम है. वहां कैसे संभव है? यहां भी ऐसी नीतियों को अपनाया जाये जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमत पर नियंत्रण संभव हो सके.
संजय जायसवाल : केंद्र व राज्य सरकार यदि करों व उत्पाद शुल्क में कटौती करे तो पेट्रोल-डीजल की की बढ़ती कीमत से तत्कालिक राहत अवश्य मिलेगी. पेट्रोल-डीजल की कीमत को लेकर होने वाली समस्या के दीर्घकालिक और सतत समाधान के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना होगा.
अजय कुमार जायसवाल : पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत को लेकर जो नीति अपनाने की जरूरत है केंद्र व राज्य सरकार उसे अम्ल नहीं कर रही हैं. नीति देश के आम लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए बनाना पड़ेगा. पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत बढ़ने से महंगाई की सबसे ज्यादा मार देश की 80 प्रतिशत जनसंख्या पर पड़ती है. जनता की आमदनी सीमित है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत उतनी निर्धारित की जाये जिसका मूल्य आम लोग वहन कर पायें.
जयंत मल्लिक : हमारे देश में आम लोगों को केवल भ्रमित किया जाता है. मुनाफा तो देश की 15 से 20 प्रतिशत भाग जनसंख्या को ही अधिक होती है. 80 प्रतिशत जनसंख्या एक तरह से ठगे ही जाते हैं. पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने का असर ऐसे लोगों पर ही पड़ता है. केंद्र व राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले करों में कटौती करे.
परिचर्चा के दौरान शिशकुमार घोष, रमेश साव, विवेक सिंह, मेवा लाल जायसवाल, राज कुमार जायसवाल, आरएन वर्मा, अमित मुखिया, राजीव जायसवाल, मानिक सोनकर व अन्य मौजूद रहे.

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