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कोलकाता : माकपा अपने ही अतीत की परछाई बनी
कोलकाता : बंगाल की राजनीति में एक समय जबर्दस्त दबदबा कायम रखनेवाली माकपा अब सिर्फ अपने अतीत की परछाई बन गयी है, क्योंकि इस राज्य में मुख्य विपक्ष के रूप में तेजी से अपनी जगह बना रही भाजपा के सामने उसे अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. माकपा के नेतृत्व वाले […]
कोलकाता : बंगाल की राजनीति में एक समय जबर्दस्त दबदबा कायम रखनेवाली माकपा अब सिर्फ अपने अतीत की परछाई बन गयी है, क्योंकि इस राज्य में मुख्य विपक्ष के रूप में तेजी से अपनी जगह बना रही भाजपा के सामने उसे अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
माकपा के नेतृत्व वाले वाममोरचा को पश्चिम बंगाल में पंचायती राज व्यवस्था का रचनाकार के रूप में जाना जाता है. ऐसा भी समय था जब राज्य की ज्यादातर जिला परिषदों में वाममोरचा को जीत हासिल होती थी, लेकिन इस बार कई सीटों पर नामांकन दाखिल करने में भी पार्टी को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध पर बताया कि यह सच है कि ज्यादातर स्थानों पर पार्टी के उम्मीदवार नामांकन दाखिल करने में समर्थ नहीं थे. इसका एक प्रमुख कारण ज्यादातर उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने में बाधा दी गयी थी. कई स्थान ऐसे है जहां पार्टी को उम्मीदवारों को तलाशने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
पंचायत चुनावों के लिए विभिन्न पार्टियों द्वारा दाखिल नामांकन सूची के अनुसार पंचायत चुनावों के सभी तीनों खंडों ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद में तृणमूल कांग्रेस अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे है.
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