एमसीसीआइ की ओर से आयोजित परिचर्चा में बोले वियतनाम के राजदूत एचई टन सिन थान
कोलकाता : मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. भारत व वियतनाम के बीच ‘द्विपक्षीय व्यापारः अवधारणा व संभावनाएं’ विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि के ताैर पर उपस्थित एंबेसी ऑफ द सोशियलिस्ट रिपब्लिक ऑफ वियतनाम इन इंडिया के एंबेसडर एचई टन सिन थान ने कहा कि वियतनाम व भारत के बीच आर्थिक व राजनीतिक रूप से लंबे समय से गहरा संबंध बना हुआ है.
विशेषकर वियतनाम व कोलकाता का एक परंपरागत रिश्ता बना हुआ है. राष्ट्रपति होचीमिन ने कुल तीन बार कोलकाता का दाैरा किया था. निर्यात के मामले में अभी वियतनाम एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा है. न केवल निवेश में बल्कि पर्यटन में भी वियतनाम आगे बढ़ रहा है. बेहतरीन पर्यटन सुविधाओं के कारण कई भारतीय वियतनाम में घूमने जाते हैं.
बिजली, हाइ-वैल्यू मैन्यूफैक्चरिंग, स्टील मैन्यूफैक्चरिंग, हाइ टेक्नोलॉजी, होटल डेवलपमेंट व ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में दोनों देशों के लिए काफी संभावनाएं हैं. दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध ज्यादा मजबूत हुए हैं. भारत अब वियतनाम के 10 व्यापारिक सहभागी देशों की सूची में शामिल हो गया है. सत्र में राज्य के उपभोक्ता मामलों के मंत्री साधन पांडे ने कहा कि दोनों देशों की ओर से यह संबंध हमेशा से मजबूत रहा है. कई भारतीय, व्यापार के क्षेत्र में वियतनाम से जुड़े हुए हैं. अब पश्चिम बंगाल से भी व्यापार की संभावनाएं बढ़ रही हैं.
वियतनाम के उद्यमियों को भी बंगाल आकर ज्यादा निवेश के बारे में सोचना चाहिए. कार्यक्रम में एमसीसीआइ के अध्यक्ष रमेश अग्रवाल ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि स्वतंत्रता व आत्मनिर्भरता के लिए वियतनाम की खोज के दाैरान भारत भी सहभागी रहा है. राष्ट्रपति होची मिन्ह व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत व वियतनाम के बीच एक मजबूत रिश्ते की नींव रखी थी.
राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने 1911, 1946 व फरवरी 1958 में कुल तीन बार कोलकाता का दाैरा किया था. वियतनाम अभी विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कॉफी निर्यातक देश है. चाय के उत्पादन में वियतनाम का विश्व में पांचवां व सीफूड में छठा स्थान है.