27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कर्ज के बोझ तले दबा है बंगाल का हर व्यक्ति

दुर्भाग्यपूर्ण l बंगाल के हर नागरिक पर 41 हजार रुपये का कर्ज वर्ष 2011 का 1.93 लाख करोड़ का कर्ज 2018-19 में बढ़ कर 3.84 लाख करोड़ होने की संभावना कोलकाता : पश्चिम बंगाल कर्ज के बोझ के तले लगातार दबते जा रहा है और कर्ज का निपटारा कैसे होगा, इसका पता किसी को नहीं […]

दुर्भाग्यपूर्ण l बंगाल के हर नागरिक पर 41 हजार रुपये का कर्ज

वर्ष 2011 का 1.93 लाख करोड़ का कर्ज 2018-19 में बढ़ कर 3.84 लाख करोड़ होने की संभावना
कोलकाता : पश्चिम बंगाल कर्ज के बोझ के तले लगातार दबते जा रहा है और कर्ज का निपटारा कैसे होगा, इसका पता किसी को नहीं है. वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल पर 1.93 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था, जो अब बढ़ कर 3.84 लाख करोड़ हो गया है. ऐसे में देखा जाये तो लगभग 9.3 करोड़ जनसंख्या वाले इस बंगाल के हरेक नागरिक पर लगभग 41 हजार रुपये का कर्ज है. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह कर्ज कम होनेवाला नहीं है, बल्कि समय के साथ कर्ज का बोझ और भी बढ़ता जायेगा.
कर्ज चुकाने की नहीं दिख रही कोई आशा
पश्चिम बंगाल पर जो कर्ज का बोझ है, इसे चुकाने की कोई आशा की किरण नहीं दिख रही. क्योंकि राज्य सरकार ने आर्थिक सुधार व ई-गवर्नेंस लागू कर अपनी आमदनी तो बढ़ाई है, लेकिन वह आमदनी ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. इस आमदनी से कर्ज के पहाड़ को पार नहीं किया जा सकता. अगर यहां अधिक से अधिक बड़े उद्योगों आयेंगे तभी राजस्व, आमदनी बढ़ेगी. लेकिन बंगाल में बड़े उद्योगों की स्थापना नहीं के बराबर हो रही है. साथ ही राज्य सरकार को अपने खर्चों को भी कम करना होगा, लेकिन इसके भी आसार नहीं दिख रहे. पश्चिम बंगाल सरकार सामाजिक विकास जैसी योजनाओं पर अधिक राशि खर्च कर रही है,
जहां से आमदनी नहीं होती. आंकड़ाें के अनुसार, वर्ष 2017-18 में बंगाल को कर अदायगी के रूप में लगभग 55,786 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन इसमें से 52 हजार करोड़ रुपये कर्ज चुकाने के लिए अदा करने पड़े. इसके साथ-साथ लगभग 50 हजार करोड़ रुपये सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन, पेंशन व विभिन्न सब्सिडियों में प्रदान किये गये. बंगाल सरकार अपनी आमदनी से दोगुनी राशि खर्च करती है, इससे साफ जाहिर है कि बंगाल पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है.
पश्चिम बंगाल सरकार पर कर्ज का आंकड़ा
वर्ष कर्ज
2014-15 2.75 लाख करोड़
2015-16 2.99 लाख करोड़
2016-17 3.33 लाख कराेड़
2017-18 3.66 लाख करोड़
2018-19 3.84 लाख करोड़ (संभावना)
सत्ता में आने के बाद लगायी योजनाओं की झड़ी
तृणमूल कांग्रेस की सरकार सत्ता में आने के बाद से एक के एक सामाजिक विकास की योजनाओं पर राशि खर्च करना शुरू किया. इन योजनाओं से समाज को फायदा तो हुआ, लेकिन बंगाल की आर्थिक स्थिति और भी दयनीय होती गयी. कन्याश्री, युवाश्री, शिक्षाश्री, सबूज साथी, स्वास्थ्य साथी, तांती साथी, समव्याथी जैसी योजनाएं शुरू की है, जिसके तहत प्रत्येक वर्ष हजारों करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. इसके साथ-साथ राज्य की 8.5 करोड़ जनता को दो रुपये किलो की दर से चावल व गेंहू प्रदान करना, 15 हजार क्लबों को आर्थिक राशि देने व राज्य सरकार द्वारा आयोजित किये जानेवाले कई उत्सव जैसे लोक संस्कृति उत्सव, माटी उत्सव, विवेक मेला, सुभाष मेला, राखी बंधन उत्सव पर खर्च होनेवाली राशि से राज्य को कोई आर्थिक फायदा नहीं होता.
हमारी सरकार जितना भी लोन लेती है, उसका 45 प्रतिशत यहां विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है. हम वाममोरचा सरकार की तरह रुपये सिर्फ कर्मचारियों के वेतन व कर्ज चुकाने में खर्च नहीं करते हैं. पश्चिम बंगाल इकलौता राज्य नहीं है, जिस पर कर्ज का बोझ है. पंजाब की कांग्रेस व केरल की माकपा सहित उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों पर भी लाखों करोड़ का कर्ज है. हमारी सरकार केंद्र सरकार से लोन लेकर इसे जनहित पर खर्च करती है.
-ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री
केंद्र सरकार से लोन लेकर राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ाया जा रहा है और इस राशि को मेला व उत्सव के रूप में फिजुल खर्च किया जा रहा है.
-सुजन चक्रवर्ती, माकपा विधायक
कर्ज चुकाने में चली जाती है आमदनी : 2011-12 में राज्य सरकार ने लोन चुकाने के एवज में 23,199 करोड़ रुपये दिये थे, जोकि राज्य को मिलनेवाले कुल राजस्व 59144 करोड़ का लगभग 39 प्रतिशत था, जबकि कुल राजस्व में 24,934 करोड़ रुपये राज्य सरकार को कर अदायगी के रूप में मिले थे. अर्थात् कर्ज के रूप में राज्य सरकार जो राशि का भुगतान करती है, सरकार की आमदनी उससे थोड़ी सी अधिक है. वर्ष 2016-17 के वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने लोन चुकाने, सरकारी कर्मचारियों के वेतन, पेंशन सब्सिडी पर लगभग 94,256 करोड़ रुपये खर्च किये, जबकि राज्य सरकार को कर अदायगी के रूप में मात्र 50,773 करोड़ रुपये मिले थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें