कोलकाता: प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी में कुलपति की नियुक्ति के लिए प्रबंधन की ओर से 12 लाख रुपये का विज्ञापन दिया गया था, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि यूनिवर्सिटी में कुलपति का चुनाव तो हुआ, लेकिन विज्ञापन के अनुसार आवेदन करनेवालों को राज्य सरकार ने बुलाया ही नहीं. सिर्फ सिफारिश के आधार पर प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी के कुलपति की नियुक्ति की गयी. जिन लोगों ने विज्ञापन के अनुसार आवेदन किया था, उनको सर्च कमेटी ने बुलाया ही नहीं. पहले राज्य सरकार ने कुलपति पद के लिए तीन लोगों के नाम का चयन किया था, लेकिन दो लोगों ने पहले ही पदभार ग्रहण करने से इनकार कर दिया.
अब आवेदन करनेवालों को सर्च कमेटी द्वारा नहीं बुलाने पर प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी के कार्यकलाप पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि जिन लोगों ने आवेदन किया था, क्या उनमें से कोई इस पद के लायक नहीं था. यूनिवर्सिटी में कुलपति पद के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के बॉयो केमिस्ट्री के पूर्व डीन व विभागीय प्रधान ने आवेदन किया था. उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी मिल चुका है. इसके साथ-साथ दो पेटेंट उनके नाम पर हैं. 48 रिसर्च पेपर की ख्याति प्राप्त पूर्व डीन इस तालिका में प्रथम स्थान पर थे. इसके अलावा आइआइटी खड़गपुर के एक अध्यापक ने भी आवेदन किया और उन्हें भी भटनागर पुरस्कार मिला है. गुजरात के एक प्रख्यात विवि के अलावा राज्य के तीन विवि के कुलपति और एक विवि के अस्थायी कुलपति ने आवेदन किया था. जानकारी के अनुसार, प्रेसिडेंसी विवि के कुलपति पद के लिए करीब 42 आवेदन जमा हुए थे, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
कल पदभार संभालेंगी
गौरतलब है कि अनुराधा लोहिया प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी की कुलपति होंगी. वह दो मई से अपना पदभार संभालेंगी, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि विवि की निवर्तमान मालविका सरकार का कार्यकाल 15 मई को खत्म होनेवाला है और उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग से 13 मई को अपना पदभार त्यागने की बात कही थी. क्योंकि 13 अंक उनके लिए शुभ है, लेकिन राज्य सरकार ने इससे पहले ही उन्हें पद से हटा दिया और दो मई से ही अनुराधा लोहिया के कुलपति का पद संभालने की घोषणा कर दी है.