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नंदीग्राम गोलीकांड मामले में तीन आरोपियों को मिली अग्रिम जमानत
कोलकाता : वर्ष 2007 में हुए नंदीग्राम गोलीकांड मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट ने तीन आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका को मंजूर लिया और उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है. इनके नाम बिजन दास, प्रजापति दास व रबिउल इस्लाम बताये गये हैं. गुरुवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में न्यायाधीश दीपंकर दत्ता की डिवीजन बेंच ने […]
कोलकाता : वर्ष 2007 में हुए नंदीग्राम गोलीकांड मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट ने तीन आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका को मंजूर लिया और उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है.
इनके नाम बिजन दास, प्रजापति दास व रबिउल इस्लाम बताये गये हैं. गुरुवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में न्यायाधीश दीपंकर दत्ता की डिवीजन बेंच ने उन्हें अग्रिम जमानत दी.
क्या है मामला : 14 मार्च 2007 को नंदीग्राम में गोलीकांड की घटना हुई थी और इस घटना में 14 ग्रामीणों की मौत हुई थी. 2007 में हाइकोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा गया. इसके बाद सीबीआइ ने 37 आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती धारा के तहत मामला करते हुए चार्जशीट पेश किया था. इसके बाद सीबीआइ ने 2013 में दूसरी चार्जशीट में सीबीआइ ने 137 लोगों के खिलाफ मामला दायर किया था.
इसके बाद वर्ष 2017 में 26 जून को सीबीआइ ने तमलुक अदालत में अतिरिक्त चार्जशीट पेश किया और इसमें तीन पुलिस अधिकारी व तीन अन्य लोगों का नाम पेश किया गया. तमलुक अदालत ने तीनों पुलिस अधिकारी देवाशीष बराल, शेखर राय व सत्यजीत बनर्जी की अग्रिम जमानत याचिका को मंजूर कर लिया, लेकिन बाकी तीन आरोपियों के अग्रिम बिजन दास, प्रजापति दास व रबीउल इस्लाम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. तमलुक अदालत के इस फैसले के खिलाफ तीनों आरोपियों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे स्वीकार करते हुए हाइकोर्ट ने तीनों आरोपियों की सशर्त अग्रिम जमानत याचिकाएं मंजूर कर लीं.
नंदीग्राम हत्याकांड पर एक नजर
वर्ष 2007 में तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने नंदीग्राम में पेट्रोकेमिकल हब बनाने का फैसला किया था और इसके लिए नंदीग्राम में 35 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू की गयी. राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी ने आंदोलन शुरू कर दिया और 2007 में कमेटी के सदस्यों ने नंदीग्राम में रास्ता काट कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.
इस परिस्थिति में 13 मार्च को तत्कालीन गृह सचिव के निर्देश पर नंदीग्राम में पुलिस भेजने की घोषणा की गयी और उसके बाद 14 मार्च को भांगाबेड़ा व अधिकारीपाड़ा से पुलिस नंदीग्राम में प्रवेश करने की कोशिश की. उसी समय पुलिस व ग्रामवासियों के बीच संघर्ष शुरू हो गया और पुलिस की गोली से भांगाबेड़ा में 11 व अधिकारीपाड़ा में तीन लोगों की मौत हो गयी थी.
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