पहले ही केंद्र सरकार ने पहाड़ से सीआरपीएफ को हटाने को फैसला कर लिया था, जिसका राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोध किया था. उसके बाद यह मामला कलकत्ता हाइकोर्ट में पहुंच गया. हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार के निर्णय पर स्टे लगा दिया. हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि कानून और व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पहाड़ से सीआरपीएफ को हटाने की मंजूरी दे दी. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद ही शुक्रवार को ही सीआरपीएफ ने अपना बोरिया विस्तर बांधना शुरू कर दिया था. शनिवार को सभी जवान सिलीगुड़ी के कावाखाली में बने सीआरपीएफ उत्तर बंगाल सीमांत मुख्यालय में पहुंच गयी.
सीआरपीएफ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगले दो दिनों तक सभी सातों कंपनिया यहीं रुकेंगी और और उसके बाद जहां इनकी स्थायी रूप से तैनाती की गयी थी, वहां रवाना हो जायेंगी. सीआरपीएफ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में तैनात सीआरपीएफ की सात कंपनियों में से दो महिला कंपनियां पश्चिम बंगाल के सालबनी से आयी थीं.
अब ये दोनों कंपनियां वहीं रिपोर्ट करेंगी. पहाड़ पर एक महिला कंपनी की तैनाती डाली में थी, तो दूसरी की तैनाती मिरिक में की गयी थी. असम से तीन कंपनियां दार्जिलिंग आयी थीं. अब तीनों कंपनियां दो दिनो बाद असम लौट जायेंगी, जबकि झारखंड से आयी दो कंपनियों को भी वहां भेज दिया जायेगा. सीआरपीएफ सूत्रों ने आगे बताया कि आनेवाले दिनों में हिमाचल प्रदेश तथा गुजरात में विधानसभा चुनाव है. इन सभी कंपनियों को अब चुनावी ड्यूटी पर लगाया जायेगा. इसी वजह से इनको दार्जिलिंग से हटाने का निर्णय लिया गया. अब इनके ऊपर हिमाचल प्रदेश तथा गुजरात चुनाव के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जायेगी.