कोलकाता/ नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल सरकार से दार्जिलिंग में अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती को लेकर जारी खींचतान के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों से कहा कि अर्द्धसैनिक बल राज्य पुलिस की जगह नहीं ले सकते और उन्हें सिर्फ आपातकालीन स्थिति में तैनात करना चाहिये.
मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को भेजे एक संदेश में कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की जरूरतों के लिए आंतरिक सुरक्षा, खुफिया इनपुट और करीबी स्थानों पर केंद्रीय बलों की उपलब्धता के आधार पर परीक्षण के लिये एक समिति का गठन करें. इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार ने सीएपीएफ की तैनाती के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है. इसके मुताबिक केंद्रीय बल सीमाओं की निगरानी, उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई और ऐसी दूसरी स्थितियों जहां बलों को तत्काल भेजे जाने की जरूरत है जैसी ज्यादा जरूरी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकेंगे.
पहाड़ पर पर्याप्त संख्या में राज्य पुलिस मौजूद: सीएम
कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहाड़ पर राज्य पुलिस के बजाय केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों का इस्तेमाल करने के केंद्र के आरोप को पूरी तरह निराधार बताया है. बुधवार को राज्य सचिवालय नवान्न से बाहर निकलते समय मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह बिल्कुल निराधार आरोप लगाया है कि पहाड़ पर राज्य पुलिसकर्मियों की संख्या कम है आैर इस कमी को राज्य सरकार केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों को काम में लगा कर पूरा कर रही है. हकीकत तो यह है कि वहां पहले से एक हजार पुलिसकर्मी तैनात थे. उसके बाद हम लोगों ने वहां अतिरिक्त 2500 पुलिस कर्मियों को तैनात किया है. इस तरह वर्तमान में पहाड़ पर राज्य पुलिस के 3500 कर्मी व अधिकारी मौजूद हैं. जो पहाड़ के लिए पर्याप्त हैं. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर कहा कि इस तरह की गलत खबरों पर ध्यान न दें. उन्होंने संवाद माध्यम से भी कहा कि इस तरह की संवेदनशील मुद्दों पर कुछ भी लिखने व दिखाने से पहले अच्छी तरह से उसकी जांच कर लें.
गुरुंग 30 को जनता में लौटने के एलान पर कायम
दार्जिलिंग. गोजमुमो प्रमुख विमल गुरुंग ने एक बार फिर ऑडियो क्लिप जारी करके पूर्व की घोषणा के मुताबिक 30 अक्तूबर को जनता के बीच आने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार मुझे जनता के बीच आने से रोकने के लिए तरह-तरह की साजिश कर रही है. हाल ही में हुई मुठभेड़ की घटना, जिसमें एसआइ अमिताभ मल्लिक की मौत हुई, को मोर्चा प्रमुख ने साजिश का हिस्सा बताते हुए कहा कि जो मरा उसे बंगाल सरकार ने मारा. जो हथियार बरामद दिखाये गये हैं, वो केएलओ (कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन) के उग्रवादियों से जब्त किये गये पुराने हथियार हैं. उन्होंने कहा, पूरी साजिश का मकसद विमल गुरुंग की हत्या करके गोरखालैंड आंदोलन को हमेशा के लिए कुचलना है. मेरे और जीएलपी के कैंप लगाने की बात पूरी तरह झूठ है.
उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार तानाशाही की राजनीति करके हम लोगों पर अन्याय और अत्यचार कर रही है. हमारी जाति का नाश करने का काम कर रही है. ऐसे में हम लोगों को सतर्क होकर काम करना होगा. दार्जिलिंग, तराई, डुआर्स समेत पूरे देश के गोरखाओं को एकजुट होकर लोकतांत्रिक तरीके से बंगाल सरकार को जवाब देना होगा. हमें आपसी लड़ाई-झगड़े से दूर रहना है. उन्होंने पहाड़ की समस्त जनता को दीपावली की शुभकामना भी दी.
श्री गुरुंग ने कहा, बंगाल सरकार मुझे अलोकतांत्रिक दिखाना चाहती है. लेकिन यदि मैं अलोकतांत्रिक होता तो बीते 11 सालों से लोकतांत्रिक ढंग से संघर्ष क्यों कर रहा होता. मोर्चा प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि वह जनता का सिर झुकने नहीं देंगे. उन्होंने कहा, यह मेरा व्यक्तिगत आंदोलन नहीं है. मेरा कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है. यह आंदोलन गोरखा जाति की उन्मुक्ति के लिए है. इस आन्दोलन में मेरे प्राण चले जायें, पर हमारी गोरखा जाति की उन्मुक्ति जरूरी है. इस आंदोलन के लिए सभी राजनैतिक दल और संघ-संस्थाएं एक होकर लड़ें. एक बार गोरखालैंड बन जाये, फिर आप लोग चला लेना. मुझे कुछ नहीं चाहिए.
उन्होंने राज्य पुलिस पर आगजनी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल पुलिस की हरकतों से केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की बदनामी हो रही है. आग लगाने और मारपीट का काम बंगाल पुलिस कर रही है औ आरोप केंद्रीय बलों पर लग रहा है.
सिर्फ कानून-व्यवस्था के काम में मदद करेंगे केंद्रीय बल
हाइकोर्ट के आदेश की वजह से पहाड़ से समतल पर उतर रही केंद्रीय बल फिर से पहाड़ पर तैनात हो गया है. उधर,सीआरपीएफ के आइजी शंकरन रविंद्रन ने कहा है उनके फोर्स का इस्तेमाल ‘आतंकवाद’ से निपटने में किया जा रहा है, जबकि गृहमंत्रालय ने उन्हें पहाड़ पर भेजते हुए आदेश दिया था कि सीआरपीएफ केवल कानून-व्यवस्था को बहाल करने के लिए राज्य सरकार की मदद करेगी. लिहाजा अब से सीआरपीएफ केवल वही काम करेगी जो उसको आदेश मिला हुआ है.
गया कि उनका उपयोग सिंग्ला के जंगल में गुरुंग को पकड़ने के काम में किया गया. वह पूरी तरह आतंकवादी दमन अभियान था. हालांकि उसमें सीआरपीएफ घातक भूमिका में नहीं थी . लेकिन अब तय किया गया है कि केवल वही काम किया जायेगा जिसका आदेश उनको मिला है.