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बस्ती व हॉकर उच्छेद के खिलाफ प्रदर्शन आठ को
कोलकाता. फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप 2017 के मैच के लिए युवाभारती क्रीड़ांगन के आसपास के इलाकों में बस्ती और हॉकर के उच्छेद का आरोप लगाया है विरोधी संयुक्त मंच ने. मंच में नेशनल हॉकर फेडरेशन, एपीडीआर, एआइपीएफ समेत कई संगठन शामिल हैं. आरोप है कि फुटबाल मैच को लेकर दमदम एयरपोर्ट इलाके से इस्टर्न मेट्रोपॉलिटन […]
कोलकाता. फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप 2017 के मैच के लिए युवाभारती क्रीड़ांगन के आसपास के इलाकों में बस्ती और हॉकर के उच्छेद का आरोप लगाया है विरोधी संयुक्त मंच ने. मंच में नेशनल हॉकर फेडरेशन, एपीडीआर, एआइपीएफ समेत कई संगठन शामिल हैं.
आरोप है कि फुटबाल मैच को लेकर दमदम एयरपोर्ट इलाके से इस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाइपास, सॉल्टलेक, बेलियाघाटा इलाके में बस्ती और हॉकर हटाये जा रहे हैं. करीब 10 हजार बस्तीवासी एवं हॉकर इससे प्रभावित हुए हैं. बस्ती और हॉकर उच्छेद के खिलाफ आठ अक्तूबर को उच्छेद विरोधी संयुक्त मंच के बैनर तले महानगर में रैली निकालने व प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया है.
यह जानकारी नेशनल हॉकर फेडरेशन के वरिष्ठ नेता शक्तिमान घोष ने शुक्रवार को भारत सभा हॉल में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दी. उन्होंने कहा कि आठ अक्तूबर को अपराह्न दो बजे सिलायदह स्टेशन के निकट से रैली निकाली जायेगी. प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि उच्छेद फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप 2017 के मैच के लिए नहीं हो रहा है और यह मैच के बाद भी चलाया जायेगा. प्रश्न यह है कि बस्ती में रहने वाले लोग और हॉकर देश के नागरिक हैं, उच्छेद के बाद वे कहां जायेंगे? आरोप के अनुसार चुनाव के समय उनसे वोट मांगें जाते हैं लेकिन उसके बाद उन्हें हटाने की प्रक्रिया क्यों? वर्ष 2014 में संसद में पथ विक्रेता (आजीविका का संरक्षण और पथ विक्रय का विनियमन) अधिनियम 2014 पारित किया गया था.
अधिनियम के तहत टाउन वेंडिंग कमेटी गठन और उस कमेटी के सर्वेक्षण द्वारा हॉकरों को परिचय पत्र दिये जाने का नियम है. कानून के तहत उपरोक्त नियमों के पालन के बगैर किसी भी हाॅकर का उच्छेद सही नहीं है.
आरोप के अनुसार अभी तक राज्य में उपरोक्त अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है. मंच की ओर से अंदेशा जताया जा रहा है कि बस्ती व हॉकर उच्छेद के नाम पर बड़ी-बड़ी प्रमोटिंग कंपनियों का तो हित नहीं साधा जा रहा है. फिलहाल मंच की ओर से जल्द से जल्द बस्ती और हॉकर उच्छेद बंद किये जाने की मांग की गयी है. ऐसा नहीं होने पर व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी गयी है.
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