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भारत में जन्मे तो राष्ट्रप्रेम भी हो: भागवत

कोलकाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सिस्टर निवेदिता ने राष्ट्रवाद को बहुत पहले ही महसूस कर लिया था. वह बार-बार भारतीयों को राष्ट्रवाद के लिए आगाह करती रहीं. उनकी कही गयी बातों को हम आज दोहरायेंगे तो लोग कम्युनल और आक्रामकता का गलत अर्थ लगायेंगे, जबकि आज हमें अपने धर्म के […]

कोलकाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सिस्टर निवेदिता ने राष्ट्रवाद को बहुत पहले ही महसूस कर लिया था. वह बार-बार भारतीयों को राष्ट्रवाद के लिए आगाह करती रहीं. उनकी कही गयी बातों को हम आज दोहरायेंगे तो लोग कम्युनल और आक्रामकता का गलत अर्थ लगायेंगे, जबकि आज हमें अपने धर्म के मूल गूढ़ को समझना होगा.

उसके अच्छे विचारों को लेकर आक्रामक होना होगा. कम्युनल होने की जरूरत है. देश के विकास और समाज को बनाने के लिए परिवार को बचाये रखना होगा. यह बात वह सनातन धर्म का अध्ययन करने के बाद बहुत पहले ही बता चुकी हैं. लिहाजा हमें अपने धर्म को और आधुनिक बनाना होगा लेकिन इस बात का ख्याल रखना होगा कि उसकी आत्मा बरकरार रहे. संघ प्रमुख मंगलवार को सिस्टर निवेदिता मिशन ट्रस्ट की ओर से सिस्टर निवेदिता की 150वीं जयंती पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की परंपरा तोड़ने की बहुत बार कोशिश हुई. हम कभी आक्रामक नहीं रहे. हर कोई हमारे यहां आया और हमने उन्हें अपनाया. हमने कभी किसी को तोड़ने की कोशिश नहीं की, क्योंकि हमारी धरती इतनी संपन्न है कि यहां सब कुछ मिलता है. इस कारण ही हम शांतिपूर्ण रहे. रेगिस्तान में एक टुकड़ा जमीन के लिए लोग एक-दूसरे पर हमला करते थे. आज भी उसी परंपरा को निभा रहे हैं. वह वर्ग जहां गया वहां अपना तेवर बरकरार रखा. लेकिन हमारी राष्ट्रवादिता को लेकर तरह-तरह के सवाल उठते रहे. इसी को दूर करने का बीड़ा सिस्टर निवेदिता ने उठाया और नेशन के बजाय हिन्दुस्तान के राष्ट्रवाद को लेकर लोगों को जागरूक करने में लगी रहीं.
श्री भागवत ने कहा कि यह सनातन धर्म की ही देन है कि हमारे यहां शक हूण से लेकर पांच सौ साल तक मुगल व अंग्रेज राज किये लेकिन हमारी संस्कृति को नहीं मिटा सके. हमारी जड़ मजबूत है. लोग हमारी संस्कृति को अपनाते हैं. सच्चर कमेटी का विरोध करने पर एक पत्रकार द्वारा कहे गये शब्दों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उक्त पत्रकार ने उनसे साफ कहा था कि हिन्दुस्तान में जो भी मुसलमान हैं वह पहले हिंदू थे तो उनके विकास में आप बाधा क्यों बन रहे हैं? इस पर उन्होंने बताया था कि विश्व के किसी भी मुस्लिम देश में कव्वाली नहीं गायी जाती, केवल हिन्दुस्तान में यह परंपरा हैं. क्योंकि लोग अपनी जड़ को नहीं भूल पाये हैं. अपने भजन गाने की परंपरा को वो कव्वाली में दोहराते है. कब्र की पूजा करते हैं.
अपने विकास के लिए राष्ट्रवाद को मजबूत करना होगा. अभी वह मौका आया है कि हम नेशन से राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ रहे हैं. इसके लिए जरूरी है सभी भारत माता के पुत्र के रूप में रहें. भारत में जन्मे हैं तो राष्ट्रप्रेम भी होना चाहिए. अपनी जड़ को मजबूत करते हुए देश को विश्व गुरु की दिशा में आगे बढ़ाना है. इसके लिए अपने उच्चतम गुणवत्ता को सामने लाना होगा.
मोहन भागवत, संघ प्रमुख

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