कोलकाता: विकसित देशों के लिए समग्र विकास और प्रति व्यक्ति आय स्तर में तीव्र वृद्धि अनिवार्य है, जबकि विकासशील देशों के लिए गरीबी उन्मूलन प्राथमिकता होनी चाहिए.
इससे सतत आर्थिक विकास से गरीबी भी मिटेगी. हमें ऊर्जा की सार्वभौमिक पहुंच को जहां एक तरफ बढ़ावा देना होगा, वहीं विभिन्न प्रौद्योगिकी, वित्तीय और संस्थागत अवरोधों को दूर कर ऊर्जा क्षमता और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना होगा. सतत विकास उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग का अधिकार प्रदान करता है.
यह बातें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस एंड पॉलिसी के निदेशक डॉ रथीन रॉय भरत ने शुक्रवार को भारत चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहीं. उन्होंने कहा कि उभरती हुई अर्थव्यवस्था में मध्यम वर्ग का तेजी से विकास हो रहा है, उनका आर्थिक स्तर बढ़ रहा है. कंपनियां व सरकार अनुसंधान और विकास व्यय को बढ़ा रही हैं, जिससे प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के रूप में अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धी हो रही है. इससे लाभ उठाना निश्चित है. ऐसी अर्थव्यवस्था बड़े मानव संसाधनों का स्रोत भी हैं.