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गुरूंग के घर-दफ्तर में परिंदा भी नहीं मार सकता पर
दार्जिलिंग से लौटकर विपिन राय गोरखालैंड आंदोलन के मद्देनजर पूरा पहाड़ पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की छावनी बना हुआ है. दूसरी तरफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे गोरखा जन मुक्ति मोरचा (गोजमुमो) ने भी पूरी मोरचाबंदी कर रखी है. खासकर सिंगमारी तथा पातलेबास का इलाका किले में तब्दील हो गया है. यहां न केवल मोरचा […]
दार्जिलिंग से लौटकर विपिन राय
गोरखालैंड आंदोलन के मद्देनजर पूरा पहाड़ पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की छावनी बना हुआ है. दूसरी तरफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे गोरखा जन मुक्ति मोरचा (गोजमुमो) ने भी पूरी मोरचाबंदी कर रखी है. खासकर सिंगमारी तथा पातलेबास का इलाका किले में तब्दील हो गया है. यहां न केवल मोरचा का केन्द्रीय कार्यालय है, बल्कि गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग का घर भी है. करीब 50 दिनों पहले जब हिंसक घटनाएं शुरू हुई थीं, तब यह क्षेत्र रणक्षेत्र में तब्दील हो गया था. आज भी यहां का नजारा बदला नहीं है. जले हुए वाहन अब भी सड़कों पर पड़े हुए हैं और उस दिन हुए तांडव की गवाही दे रहे हैं.
उस घटना के बाद से ही सिंगमारी तथा पातलेबास इलाके पर पुलिस व खुफिया एजेंसियों की भी नजरें टिकी हुई हैं. पूरे इलाके में एक अजीब सी खामोशी बनी हुई है. दार्जिलिंग शहर से कुछ ही दूरी पर सिंगमारी स्थित है. इन दिनों गोजमुमो के कार्यालय या विमल गुरूंग के आवास पर पहुंचना बड़ी चुनौती है. चप्पे-चप्पे पर सीआरपीएफ की तैनाती है. इसके अलावा भारी संख्या में गोजमुमो समर्थक भी मोरचे पर डटे हुए हैं. यदि कोई गाड़ी या आम आदमी भी सिंगमारी से पातलेबास की ओर जाना चाहे तो पहले सीआरपीएफ द्वारा ही उसकी कड़ी तलाशी ली जाती है. पूछताछ की जाती है.
सिंगमारी से पातलेबास जाने का रास्ता ढलान में है. करीब एक किलोमीटर के आसपास की दूरी तय करनी पड़ती है. सिंगमारी से आगे बढ़ते ही विभिन्न स्थानों पर जमे हुए मोरचा समर्थक मिल जायेंगे. कुछ चुनिंदा मोरचा नेताओं के अलावा किसी को पातलेबास जाने की अनुमति नहीं है. सिंगमारी से जब हम पातलेबास की ओर बढ़े तो कुछ ही नीचे आने पर गोजमुमो समर्थकों ने हमारी गाड़ी रोक ली. पूरा नाम-पता पूछा गया. गोजमुमो समर्थक उससे आगे किसी को जाने नहीं दे रहे थे. मोरचा के संयुक्त सचिव विनय तामांग को पहले से ही पातलेबास जाने की जानकारी दे दी गयी थी. विनय तामांग की हरी झंडी के बाद ही मोरचा समर्थकों ने हमारी गाड़ी को आगे बढ़ने दिया.
इस बीच, पातलेबास में गोजमुमो के आला नेताओं की आवाजाही भी लगभग नहीं के बराबर है. अगर कुछ नेता आते भी हैं तो वह सिंगमारी होकर नहीं, बल्कि दूसरे रास्ते से पातलेबास पहुंचते हैं.
मोरचा सुप्रीमो पातलेबास में हैं भी या नहीं, यह किसी को पता नहीं है. कुछ लोग बिमल गुरूंग के पातलेबास में नहीं होने की बात साफ तौर पर कर रहे हैं. हम भी जब उनसे मिलने गये तो मोरचे पर डटे गोजमुमो समर्थकों ने बताया कि मोरचा सुप्रीमो यहां नहीं हैं. विनय तामांग ने भी इस बात की पुष्टि की. उनसे जब बातचीत की गयी, तो उन्होंने कहा कि विमल गुरूंग पार्टी कार्यकर्ताओं से मीटिंग के लिए दूसरे स्थान पर गये हैं. तीन या चार दिनों बाद ही उनसे मुलाकात हो सकती है.
ऐसे कुछ लोग दबी जुबान में यह भी कह रहे थे कि विमल गुरूंग अंडरग्राउंड हो गये हैं. वह पातलेबास से कहीं दूर अपना अस्थायी ठिकाना बना चुके हैं. वहीं से ही वह आंदोलन को संचालित कर रहे हैं. उनसे गोजमुमो के सिर्फ शीर्ष नेता ही मिल सकते हैं. एक गोजमुमो नेता ने बताया कि पुलिस तथा खुफिया एजेंसियों द्वारा विमल गुरूंग सहित तमाम गोजमुमो नेताओं पर नजर रखी जा रही है. इसलिए वह सभी गुप्त रूप से आंदोलन को संचालित कर रहे हैं. दूसरी तरफ किसी तरह जब पातलेबास पहुंचा गया, तो वहां भी काफी संख्या में गोजमुमो समर्थक मिले. यह सभी लोग संभवत: सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.
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