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डिजिटल हो रहा सिलीगुड़ी स्पेशल करेक्शन होम

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी स्पेशल करेक्शन होम (जिसे आम बोलचाल में जेल कहा जाता है) डिजिटल होने की ओर बढ़ रहा है. यहां बंद कैदियों का आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया जारी है. साथ ही कैदियों से संबंधित जानकारियां व कारागारियां से जुड़ी फाइले कंप्यूटर में अपलोड की जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पूरे देश […]

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी स्पेशल करेक्शन होम (जिसे आम बोलचाल में जेल कहा जाता है) डिजिटल होने की ओर बढ़ रहा है. यहां बंद कैदियों का आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया जारी है. साथ ही कैदियों से संबंधित जानकारियां व कारागारियां से जुड़ी फाइले कंप्यूटर में अपलोड की जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पूरे देश सहित सिलीगुड़ी जेल के कैदियों का भी आधार बनवाया जा रहा है.
मिली जानकारी के अनुसार, सिलीगुड़ी स्पेशल करेक्शन होम में कुल 384 कैदी हैं. इनमें से कुछ कैदी ऐसे जिनका मामला पिछले बारह वर्षों से अदालत में विचाराधीन है. अधिकांश एक वर्ष, एक महीने या एक सप्ताह से रह रहे हैं. इस कारागार में उन्हीं को रखा जाता है जिनका मामला अदालत में विचाराधीन हो. सजा की घोषणा होते ही अपराधी को जलपाईगुड़ी केंद्रीय कारागार या अदालत के निर्देशानुसार देश के अन्य केंद्रीय कारागार में भेज दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कैदियों को उनकी कार्यशैली के अनुसार तीन भागों में बांट दिया गया है. कार्य में उनकी दक्षता के अनुसार पारिश्रमिक तय किया गया है. कार्य में पूरी तरह से कुशल व प्रशिक्षत कैदी को सर्वाधिक एक सौ रुपए दैनिक पारिश्रमिक निर्धारित है. सिलीगुड़ी जेल में कैदियों से रसोईघर, साफ-सफाई, ऑफिस मेंटीनेन्स आदि का काम लिया जाता है. यहां बता दें कि पहले कैदियों का पारिश्रमिक 25 से 30 रुपए के बीच निर्धारित था. बीते अप्रैल महीने में ही कैदियों की कार्य कुशलता के आधार पर पारिश्रमिक बढ़ाकर 80, 90 और 100 रुपये किया गया है.
केंद्र सरकार की अर्थिक नीति व सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कैदियों का पारिश्रमिक सीधे उनके बैंक खाते में जमा कराया जाता है. नई बैंकिग नीति में आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है. कई कैदी ऐसे भी जिनका बैंक खाता नहीं है. जबकि किसी का बैंक खाता होने के बाद भी परिवार उसका उपयोग नहीं कर पा रही है. कारण बैंक खाते का केवाईसी अपडेट नहीं कराया गया है. कारागार में रहने वाले कैंदियो का बैंक खाता उनके परिवार वाले विशेष गुजारिश पर अपडेट करा सकते हैं, बल्कि खाते से ट्रांजेक्शन भी कर सकते हैं लेकिन आधार कार्ड से लिंक ना होने की वजह से समस्याआ रही है. इन्हीं सब दिशाओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों का भी आधार कार्ड बनाने का निर्देश दिया है.
सिलीगुड़ी जेल से मिली जानकारी के अनुसार, जो विचाराधीन आरोपी एक दिन से एक सप्ताह के लिए आते हैं उनका आधार कार्ड बनाना संभव नहीं है. लंबे समय से भी कुछ कैदी यहां रह रहे हैं, उनमें से जिनका आधार कार्ड नहीं है उनका बनाया जा रहा है. अब तक सिलीगुड़ी स्पेशनल करेक्शन होम के 13 कैदियों का आधार कार्ड बनाया जा चुका है. इसके अतिरिक्त भी जिन कैदियों का आधार कार्ड नहीं है उनके लिए प्रक्रिया जारी है. इस संबंध में सिलीगुड़ी कारागार के कंट्रोलर गोविंद दास ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैदियों का आधार कार्ड बनाया जा रहा है. अब तक 13 कैदियों का कार्ड बन गया है. बाकी की प्रक्रिया जारी है.

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