कोलकाता. पश्चिम बंगाल राज्य के अधिकतर एंग्लो-इंडियन स्कूल, सीआइएससीइ (काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशंस) द्वारा दिये गये प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं. काउंसिल ने अपने स्कूलों में कक्षा पांच और आठ के लिए बोर्ड की परीक्षा करवाने का प्रस्ताव दिया है क्योंकि पहले इन्हें फेल होने पर अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता […]
कोलकाता. पश्चिम बंगाल राज्य के अधिकतर एंग्लो-इंडियन स्कूल, सीआइएससीइ (काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशंस) द्वारा दिये गये प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं. काउंसिल ने अपने स्कूलों में कक्षा पांच और आठ के लिए बोर्ड की परीक्षा करवाने का प्रस्ताव दिया है क्योंकि पहले इन्हें फेल होने पर अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था, लेकिन इसे बदला जायेगा. इस प्रक्रिया में बाहर के शिक्षक इन कक्षाओं की उत्तर-पुस्तिकाओं को जांचने का काम करेंगे. इस विषय को लेकर लगभग 35 आइसीएसइ स्कूलों के प्रिंसिपलों ने यह फैसला किया है कि वे काउसंलि को इस मसले पर फिर से विचार करने के लिए अपील करेंगे.
प्रिंसिपलों का कहना है कि प्रारंभिक दाैर में स्कूली शिक्षा का सेंन्ट्रलाइज्ड मूल्यांकन करना छात्रों के लिए काफी तनावपूर्ण रहेगा. छात्रों के प्रदर्शन के पीछे एक संस्थान की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है. इस निर्णय से इस पर असर पड़ सकता है. इस मामले में लॉ मार्टिनीयर, लोरेटो, डॉन बास्को, सेंट जेम्स, कलकत्ता ब्वॉयज व फ्रेंक एंथोनी जैसे नामी स्कूल बोर्ड परीक्षा के प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं. इन स्कूलों के सदस्यों का कहना है कि बोर्ड परीक्षा केवल दसवीं व बारहवीं में ही होनी चाहिए, पांचवीं और आठवीं में नहीं. कई स्कूल इसके पक्ष में हैं. इस प्रस्ताव पर कुछ प्रिंसिपलों का कहना है कि पांचवीं कक्षा के लिए बोर्ड की परीक्षा करवाने से छात्रों पर दबाव बढ़ेगा बल्कि निजी ट्यूशंस को भी इससे बढ़ावा मिलेगा. काउंसिल को लिखने से पहले कई स्कूल यह जानना चाहते हैं कि इस नयी प्रणाली को लेकर अभिभावक क्या सोचते हैं.
वे अभिभावकों की राय लेना चाहते हैं. वर्ष 2018 से कक्षा पांचवीं व आठवीं में बोर्ड परीक्षा (सेंट्रलाइज्ड असेस्मेंट) शुरू करने पर विचार किया जा रहा है. फीडबैक के आधार पर जुलाई में इस पर अंतिम निर्णय होगा. काउंसिल का कहना है कि प्रस्तावित परीक्षा से बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ेगी. इससे छात्रों को आसानी से अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जा सकेगा.
उत्तर कोलकाता के एक प्रिंसिपल का कहना है कि काउंसिल द्वारा किसी भी तरह का मूल्यांकन सेंट्रली किया जायेगा तो हमारे छात्रों के लिए यह दबावपूर्ण रहेगा. बच्चों पर ऐसा दबाव नहीं डाला जा सकता है. इस मामले में सभी अभिभावकों की राय ली जानी चाहिए. इस विषय में सीआइएससीइ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व सचिव गैरी एराथन का कहना है कि अगर अभिभावक इस पर राय दे देते हैं तो इसी महीने एक नयी घोषणा की जायेगी. कक्षा पांचवीं व आठवीं में सेंट्रलाइज्ड टेस्ट करवाने से क्या सुविधा हो सकती है, इस पर सभी की सहमति भी ली जायेगी. काउंसिल का तर्क है कि सेंट्रलाइज्ड एसेस्मेंट अनिवार्य है, क्योंकि सभी आइसीएसइ स्कूलों को अगले साल से नर्सरी से लेकर आठवीं तक के प्रस्तावित पाठ्यक्रम का अनुसरण करना होगा. वर्तमान में काउंसिल द्वारा प्रस्तावित प्रणाली केवल कक्षा नौ के लिए है. आइसीएसइ स्कूलों में अभी आठवीं तक जो पाठ्यक्रम चल रहा है, उसको इंटर-स्टेट बोर्ड फॉर एंग्लो-इंडियन एजुकेशन द्वारा तैयार किया गया है. यह पाठ्यक्रम नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के दिशा-निर्देश में तैयार किया गया है. कुछ प्रिंसिपलों का कहना है कि इस प्रणाली पर सभी बिंदुओं से विचार होना चाहिए.