आसनसोल : बीबी कॉलेज के ऑडिटोरियम हॉल में प्रारंभिक औपनिवेशिक बंगाली व्यवसायिक परिवारों के निजी ब्यौरों को संग्रह करने को लेकर पायलट प्रोजेक्ट की रिव्यू बैठक आयोजित की गयी.
अवसर पर कॉलेज के टीआइसी डॉ अमिताभ बासू, पायलट प्रोजेक्ट के मुख्य अंवेषक सह कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यापक त्रिदीप संतापा कुंडू, संयुक्त अंवेषक डॉ सुदीप चक्रवर्ती, सहायक अंवेषक अयन कुंडू, सहायक अंवेषक कृष्णप्रिया चक्रवर्ती सह विभिन्न विभागों के अध्यापक उपस्थित थे. टीआइसी श्री बासू ने प्रोजेक्ट के पार्टनर सेंटर फॉर स्टडीज पर सोशल साइंस (कोलकाता) के प्रलेखन अधिकारी अभिजीत भट्टाचार्य को पचास पन्नों की प्रोजेक्ट के प्रथम चरण की कॉपी सौंपी.
प्रारंभिक औपनिवेशिक बंगाली व्यवसायिक परिवारों के निजी ब्यौरों का संग्रह यूनाइटेड किं गडम के ब्रिटिश लाइब्रेरी का प्रोजेक्ट है.
जिसके तहत वर्ष 1830 के दौरान पश्चिम बंगाल में रह रहे औपनिवेशिक व्यवसायिक बंगाली परिवारों के दुर्लभ लेखों, फोटो, पारिवारिक फोटो, रचनाओं, व्यवसायिक लेन-देन संबंधी पत्रों एवं दस्तावेजों का डिजिटल संग्रह किया जायेगा. ब्रिटिश लाइब्रेरी ने इस प्रोजेक्ट का दायित्व कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यापक श्री संतापा कुंडू एवं कोलकाता की अग्रणी संस्थान सेंटर फॉर स्टडिज इन सोशल साइंस को दिया है. प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा किया जाना है.
प्रथम चरण के तहत अंवेषन टीम सदस्यों ने आठ माह की कड़ी मशक्कत से साल 1830 के दौरान कोलकाता के अग्रणी व्यवसायिक घरानों की सूची बनायी है. दूसरे चरण में टीम सदस्य उनके पारिवारिक एवं व्यवसायिक दस्तावेजों को संग्रह कर उनका डिजिटल रूपांतरण करेगी. कार्य पूरा होने के बाद उसे यूनाइटेड किंगडम की लंदन स्थित ब्रिटिश लाइब्रेरी को सौंपा जायेगा.
टीआइसी श्री बासू ने कहा कि बहुत से दुर्लभ पत्र, चित्र, व्यवसायिक अनुबंध एवं महत्वपूर्ण कागजातों का संग्रह है. जो समय के साथ नष्ट हो रहे हैं. इन दस्तावेजों को अगली पीढ़ी तक के लिए बचाकर रखना होगा. ताकि वे यह जान सकें कि 18 वीं शताब्दी में बंगाल का व्यापारिक इतिहास क्या था? इसे अगली पीढ़ी तक के लिए संग्रहित किये जाने की जरूरत है.
प्रोजेक्ट के मुख्य अंवेषक श्री संतापा कुंडू ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह अवधारना फैल रही है कि बंगाली परिवारों को व्यवसाय करना नहीं आता है. वास्तविकता यह नहीं है. बंगाल वर्षो से वाणिज्य की भूमि रही है. वर्तमान में बहुसंख्यक बंगालियों का रूझान उच्च शिक्षा ग्रहण कर नौकरी हासिल करना है. देश ही नहीं विदेशों में भी बंगाली युवक नौकरी के उच्च पदों पर हैं. यूएस में अधिकांश आउटसोर्स नौकरियां भारतीयों को मिलती हैं जिनमें बहुसंख्यक बंगला भाषी हैं. उन्होंने कहा इस अवधारना को बदलने की जरूरत है.