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दुर्गापुर में धरना पर बैठे अधिवक्ता
बुदबुद, कांकसा को बर्दवान से जोड़ने संबंधी प्रस्ताव का िवरोध प्रस्ताव को मंजूरी देने से पहले दुबारा सोच-विचार करने की मांग दुर्गापुर : दुर्गापुर महकमा अदालत से कांकसा एवं बुदबुद थाना को दुर्गापुर से हटाकर बर्दवान में शामिल िकये जाने के प्रस्ताव को लेकर बार एसोसिएशन के सदस्य गुरुवार को अदालत के समक्ष धरना पर […]
बुदबुद, कांकसा को बर्दवान से जोड़ने संबंधी प्रस्ताव का िवरोध
प्रस्ताव को मंजूरी देने से पहले दुबारा सोच-विचार करने की मांग
दुर्गापुर : दुर्गापुर महकमा अदालत से कांकसा एवं बुदबुद थाना को दुर्गापुर से हटाकर बर्दवान में शामिल िकये जाने के प्रस्ताव को लेकर बार एसोसिएशन के सदस्य गुरुवार को अदालत के समक्ष धरना पर बैठ गये. उल्लेखनीय है िक दुर्गापुर महकमा अदालत से कई थानों को दूसरी अदालत में शिफ्ट कर िदये जाने की सूचना से दुर्गापुर अदालत के अधिवक्ताओं ने नाराजगी जताते हुये सप्ताहव्यापी कामकाज बंद करने का फैसला िकया है.
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष देवीदास बनर्जी और सचिव अनुपम मुखर्जी ने कहा कि 1968 साल में दुर्गापुर महकमा अदालत का कामकाज एक निजी बिल्डिंग में शुरू हुआ. यहां अंडाल, पांडेश्वर, लावदोहा, दुर्गापुर, बुदबुद, गलसी के कुल आठ थानों का काम होता है. महकमा अदालत में करीब सात सौ अधिवक्ता और ढाई सौ के लॉ क्लर्क वकालत की प्रैक्टिस कर रहे हैं. हाल के दिनों में बर्दवान जिला शासक कार्यालय में बर्दवान को दो िजलों में बांटने को लेकर बैठक हुई. इसमें कांकसा और बुदबुद दो प्रखंडों को महकमा अदालत से हटाकर बर्दवान ले जाने का प्रस्ताव लाया गया है. रानीगंज को महकमा बनाये पर िवचार िकया जा रहा है. अंडाल और पांडेश्वर को रानीगंज के साथ जोड़ा जा रहा है. यानी दुर्गापुर महकमा अदालत में चार थाना ही रह जायेंगे. कांकसा और बुदबुद क्षेत्र में आदिवासियों की संख्या अधिक है.
उन्हें कामकाज के लिये आठ िकलोमीटर की जगह तीस िकलोमीटर का रास्ता तय करना होगा. इससे उन्हें काफी परेशानी होगी. इसके साथ ही अधिवक्ताओं को भी परेशान होना होगा. वैसे भी आसनसोल को ही जिला अदालत का मान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बुदबुद और कांकसा को दुर्गापुर से अलग करने के बारे में राज्य सरकार को दुबारा सोच-विचार करने की जरूरत है. मौके पर रंजीत राय, मुजीबुर हक, दुर्गादास गांगुली, सोरेन दास, संजय साव एवं अन्य अधिवक्त शामिल थे.
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