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आसनसोल बना देश का दूसरा सबसे गंदा शहर
आसनसोल : केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के देश के 73 स्वच्छ शहरों की सूची जारी की है, जिसमें आसनसोल 72वें स्थान पर रह कर गंदगी के मामले में दूसरे पायदान पर पहुंच गया है. सूची में सबसे अंतिम स्थान धनबाद का है. एक तरह से गंदगी के मामले में इसे प्रथम स्थान हासिल हुआ है. […]
आसनसोल : केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के देश के 73 स्वच्छ शहरों की सूची जारी की है, जिसमें आसनसोल 72वें स्थान पर रह कर गंदगी के मामले में दूसरे पायदान पर पहुंच गया है. सूची में सबसे अंतिम स्थान धनबाद का है. एक तरह से गंदगी के मामले में इसे प्रथम स्थान हासिल हुआ है.
केंद्र सरकार ने 10 लाख की आबादीवाले 73 बड़े शहरों का सर्वे कराने के बाद यह सूची जारी की है.गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्तूबर, 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. उसके बाद से ही पूरे देश में यह अभियान चलाया गया था. अभियान को जारी रखने के लिए केंद्र सरकार ने सर्विस टैक्स में बढ़ोतरी भी कर दी थी. इसे साढ़े तेरह फीसदी से बढ़ा कर 14 फीसदी कर दिया गया. इसके बाद केंद्र सरकार ने स्वच्छता अभियान की समीक्षा के लिए सर्वे कराना शुरू किया.
वर्ष 2014-15 में सर्वे में टॉप टेन सर्वाधिक स्वच्छ शहरों की सूची जारी की गयी थी. वर्ष 2015-16 के लिए भी केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रलय ने स्वच्छ सर्वे कराया. सूची के अनुसार सबसे गंदे शहरों की सूची में धनबाद पहले व आसनसोल दूसरे स्थान पर है.
तीसरे स्थान पर पटना, चौथे स्थान पर मेरठ, पांचवें स्थान पर रायपुर, छठें स्थान पर गाजियाबाद, सातवें स्थान पर जमशेदपुर, आठवें स्थान पर कल्याण डोमविभिली, नौवें स्थान पर इटानगर तथा 10वें स्थान पर वाराणसी है.
क्या है मुख्य कारण : आसनसोल शहर में वेस्टेज मैनेजमेंट का अभाव रहा है. शहर में रोजाना 200 टन से अधिक का कचरा शहर से निकलता है. इसके साथ ही रासायनिक कचरा, नर्सिंग होम से निकलनेवाला कचरा व औद्योगिक कचरा शामिल है.
इस कचरे के बेहतर उपयोग के लिए कोई योजना शहर में नहीं है. इस मुद्दे पर वाम मोरचा का बोर्ड भी पूरी तरह से विफल रहा था. इस कचरे का उपयोग कर उर्वरक व बिजली उत्पादन करने के प्लांट के लिए बोर्ड की टीम ने लगातार विदेश का दौरा किया. लेकिन कोई प्लांट नहीं लग सका. तृणमूल शासित बोर्ड भी इस मुद्दे पर विफल रहा.
मंगलपुर में प्लांट लगाने की पहल हुई, लेकिन वह भी सफल नहीं हो सका. स्थिति यह है कि नेशनल हाइवे दो के किनारे घाघरबुड़ी मंदिर के पास कचरा फेंका जाता था. काफी कचरा जमा होने के बाद स्थानीय निवासियों के लंबे आंदोलन के बाद वहां पर कचरा फेंकने पर रोक लगी. इस दिशा में सार्थक पहल होनी बाकी है.
केंद्रीय शहरी िवकास राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो का संसदीय क्षेत्र है आसनसोल
केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो इस आसनसोल संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. लेकिन इस शहर की सफाई के मुद्दे पर उन्होंने कोई विशेष योजना की पहल नहीं की है. उनका सीधा आरोप है कि यह मामला आसनसोल नगर निगम व राज्य सरकार का है. वे हर योजना में सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन राजनीतिक विवाद के कारण उनका सहयोग नहीं लिया जाता है. सफाई से लेकर जलापूर्ति तक यही स्थिति बनी हुई है.
‘क्लीन आसनसोल-ग्रीन आसनसोल’ अभियान की िनकली हवा
गौरतलब है कि आसनसोल के मेयर जितेंद्र तिवारी के नेतृत्व में आसनसोल नगर निगम प्रशासन ‘क्लीन आसनसोल-ग्रीन आसनसोल’ का अभियान चला रहा है.
आसनसोल नगर निगम ने मेयर श्री तिवारी के नेतृत्व में प्लास्टिक वैन करने के मुद्दे पर ‘क्लीन आसनसोल-ग्रीन आसनसोल’ का अभियान जोर-शोर से शुरू किया था. लेकिन कुछ ही समय के बाद पूरा अभियान औपचारिक बन कर रह गया है. समाज के हर तबके को गोलबंद करने में विफलता इसका मुख्य कारण रहा है.
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