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सूची में तृणमूल पार्षद शामिल
नक ड़ासोता के भूमि दाताओं को नहीं मिल रहा उचित सरकारी मुआवजा आसनसोल : माकपा के पूर्व सांसद वंशगोपाल चौधरी ने कहा कि इस्को स्टील प्लांट (आइएसपी) के आधुनिकीकरण व विस्तारीकरण के लिए पुरुषोत्तमपुर व नक ड़ासोता के ग्रामीणों से अधिग्रहित जमीन के मालिकों को मुआवजा नहीं मिल रहा है. जबकि सत्ताशीन तृणमूल कांग्रेस के […]
नक ड़ासोता के भूमि दाताओं को नहीं मिल रहा उचित सरकारी मुआवजा
आसनसोल : माकपा के पूर्व सांसद वंशगोपाल चौधरी ने कहा कि इस्को स्टील प्लांट (आइएसपी) के आधुनिकीकरण व विस्तारीकरण के लिए पुरुषोत्तमपुर व नक ड़ासोता के ग्रामीणों से अधिग्रहित जमीन के मालिकों को मुआवजा नहीं मिल रहा है. जबकि सत्ताशीन तृणमूल कांग्रेस के पूर्व पार्षद पवित्र मांजी का नाम विस्थापितों की सूची में शामिल है. इसका मकसद प्रभावित किसानों के अधिकारों को हड़प करना है.
मंगलवार को माकपा के आसनसोल जोनल कार्यालय में उन्होंने कहा कि अंडाल स्थित काजी नजरूल हवाई अड्डे के निर्माण के लिए चांगी इंटरनेश्नल कंपनी को साथ हुए तत्कालीन वाममोर्चा सरकार के एग्रीमेंट को चोरी से बदल दिया गया है ताकि किसानों के अधिकारों में कटौती तथा प्रमोटरों को लाभ पहुंचाया जा सके. उनके साथ पार्टी के पूर्व जोनल सचिव पार्थो मुखर्जी भी थे.
पूर्व सांसद श्री चौधरी ने कहा कि इसके आधुनिकीकरण के समय तत्कालीन वामपंथी सरकार ने हर भूमि मालिक को निर्धारित सरकारी राशि से तीन-तीन लाख रुपये अधिक दिलाने में निर्णायक भूमिका निभभायी थी. आधुनिकीककरण के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व तत्कालीन इस्पात मंत्री रामविलास पासवान के पास विस्थापितों को कंपनी में नियोजित करने के लिए दबाव बनाया गया था.
लेकिन दोनों ने राज्य सरकार व माकपा नेताओं को स्पष्ट कहा था कि सरकारी कंपनियों में भूमिदाताओं के नियोजन का कोई प्रावधान नहीं है. इसके बाद राज्य सरकार ने विस्थापितों के प्रशिक्षण व आवश्यकतानुसार नियोजन का प्रस्ताव दिया था. इसी के तहत 178 ग्रामीण युवकों को प्रशिक्षण मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि इस समय नक ड़ासोता के ग्रामीणों को उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उनके आरटीआइ का जबाब नहीं मिल रहा है. उस समय विपक्ष में रही ममता बनर्जी ने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था तथा बाद में आंदोलन के मंच से हर ग्रामीण को स्थायी नौकरी दिलाने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि इस नये प्लांट के लोकार्पण समारोह में सुश्री बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ थी. उन्हें प्रधानमंत्री से बात कर ग्रामीणों को स्थायी नौकरी दिलानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत तृणमूल के नेता ग्रामीणों के अधिकार को छिन रहे हैं.
विस्थापितों को मिलनेवाली सुविधा लेने के लिए पार्टी के पूर्व पार्षद पवित्र मांजी का नाम इनकी सूची में शामिल कर लिया गया है. उन्होंने बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी का दावा करते हुए कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. दोषी नेताओं व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
श्री चौधरी ने कहा कि अंडाल हवाई अड्डे के लिए तत्कालीन वामपंथी सरकार ने सरकारी कंपनी चांगी इंटरनेश्नल कंपनी के साथ अनुबंध किया था. भूमि मालिकों ने स्वेच्छा से अपनी जमीन इस प्रोजेक्ट के लिए दी थी. राज्य सरकार ने भूमि मालिकों, बर्गादारों व खेतिहर मजदूरों के हितों का पूरा ख्याल रखा था.
लेकिन वर्ष 2011 में सरकार बदलते ही इस प्रोजेक्ट को लंबित कर दिया. तत्कालीन उद्योगमंत्री सह डब्ल्यूबीआइडीसी के चेयरमैन पार्थो चटर्जी ने एक साल कर इसका काम बंद करा दिया. वर्ष 2012 के बाद किसी मध्यस्थ की सक्रियता के बाद इस प्रोजेक्ट का कार्य शुरू कर दिया गया. उन्होंने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि मध्यस्थता किसने की तथा किन शत्तरें पर फिर कार्य शुरू कर दिया गया.
उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि वामपंथी सरकार के अनुबंध को पूरी तरह से बदल दिया गया तथा इसे प्रमोटरमुखी बना दिया गया. किसानों, बर्गादारों व खेतिहर मजदूरों का अधिकार छिन लिया गया. प्रमोटर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं.
माकपा नेता ने कहा कि राज्य में सरकारी जमीन की लूट मची हुई है. पुलिस-प्रशासन की मदद से तृणमूल नेता भूमि माफिया बन रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकार (अड्डा) के सीइओ का जाली हस्ताक्षर कर रानीगंज थाना के रनोई में 11.72 एक ड़सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि रानीगंज नगरपालिका के अध्यक्ष ने 15 दिसंबर को इस संबंध में स्थानीय पुलिस समेत सभी अधिकारियों को पत्र लिखा कि इस जमीन पर अवैध कब्जा कर उसकी बिक्री 25 हजार रुपये कट्ठा की दर से हो रही है. लेकिन किसी भी अधिकारी ने इसे रोकने के लिए कोई पहल नहीं की.
पुलिस का कहना है कि वहां अड्डा के सीइओ की अनुमति से एनजीओ निर्माण कर रही है. श्री चौधरी ने कहा कि सीइओ के नाम से जारी पत्र फर्जी है तथा सीइओ के स्तर से नपा की अनुमति के बिना निर्माण का आदेश दिया ही नहीं जा सकता है. जिलाशासक ने कहा है कि इस मामले में कब्जा रोकने के लिए पुलिस आयुक्त को कह चुके हैं.
लेकिन पुलिस सहयोगी की भूमिका निभा रही है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को उन्होंने, आसनसोल के पार्टी के पूर्व जोनल सचिव श्री मुखर्जी तथा हीरापुर जोनल सचिव दीपायन राय ने अड्डा के सीइओ सुमित गुप्ता को ज्ञापन सौंपा तथा उनके द्वारा जारी पत्र की जांच कराने तथा सरकारी जमीन की लूट रोकने के लिए पहल करने की मांग की गयी है.
पूर्व सांसद ने कहा कि पार्टी ने इन मुद्दों को केंद्र कर व्यापक आंदोलन करने का निर्णय लिया है. बराकर, रुपनारायणपुर, आसनसोल व बर्नपुर सहित विभिन्न इलाकों में जून के प्रथम सप्ताह में पदयात्राएं निकाली जायेंगी तथा अतिरिक्त जिलाशासक के समक्ष प्रदर्शन किया जायेगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए एडीएम से तिथि की मांग की गयी है.
उन्होंने कहा कि आसनसोल में विधि-व्यवस्था नाम की कोई चीज ही नहीं रह गयी है. विकास के लिए 35 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में पड़े हैं.
पितामह के नाम से जमीन : पवित्र
तृणमूल के पूर्व पार्षद पवित्र मांजी ने कहा कि आइएसपी के विस्थापितों की सूची में कोई गड़बड़ी नहीं की गयी है. उनके पितामह नंदलाल मांजी के नाम से जमीन थी. इसका अधिग्रहण किया गया है.
जमीन के दस्तावेजों की जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है. पितामह होने के नाते उनका अधिकार इस जमीन पर है तथा इसी के आधार पर उनका नाम विस्थापियों की सूची में है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. किसी भी स्तर से इसकी जांच हो सकती है.
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